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Jharkhand News: पलामू के चार अनाथ बच्चे पढ़ाई छोड़ मजदूरी करने को विवश, नहीं मिल रही कहीं से मदद

पलामू की चार अनाथ बच्चे इन दिनों पेट की आग बुझाने के लिए पढ़ाई छोड़ मजदूरी करने को विवश है. इनमें दो बहनें धानकटनी के लिए बिहार गयीं, वहीं दो भाई मवेशी चराने और मजदूरी करने को मजबूर हैं. इन चारों अनाथ बच्चों की हालत की जानकारी देने के बावजूद स्थानीय प्रशासन अब तक सुध नहीं लिया.

Jharkhand News: पलामू जिला अंतर्गत पाटन प्रखंड के महुलिया गांव के चार अनाथ बच्चों की कहानी हृदयविदारक है. दो अनाथ बहनें जहां पढ़ाई छोड़ जीविकोपार्जन के लिए धनकटनी करने बिहार गयीं, वहीं दो भाई पेट की आग बुझाने के लिए मवेशी चराने और मजदूरी करने को विवश है. इन चारों बच्चों की सुध लेने की फुर्सत प्रशासनिक अधिकारियों के पास नहीं है. चाइल्डलाइन ने इसकी रिपोर्ट बीडीओ को सौंपी है. इसके बावजूद इन बच्चों की भलाई को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया है.

दो बहनें धान काटने के लिए बिहार गयीं

बता दें कि अनाथ चार भाई-बहनों में दो बहनें 13 साल और नौ साल की है, जबकि दो भाई 11 साल और पांच साल है. ये चारों बच्चे अनाथ हैं. इन्हें पेट की आग बुझाने के लिए मजदूरी व मवेशी चराने को विवशता है. इनमें दो बहनें फिलहाल धान काटने के लिए बिहार गयी है. वहीं, दो भाई भोजन के लिए मवेशी चराने को विवश है.

दादी कर रही अनाथ चार बच्चों का पालन पोषण

इनके पिता अशोक भुइयां और माता निलो देवी की मौत कुछ समय पहले हो गयी थी. माता-पिता की मौत के बाद उसकी 75 वर्षीय दादी राजकली कुंवर ने इन बच्चों का पालन पोषण कर रहे हैं, लेकिन उम्र के इस दहलीज पर आकर उन अनाथ बच्चों को पालन करने में अब खुद को असहाय महसूस कर रही है. वृद्धावस्था में वह किसी तरह से बच्चों के लिए भोजन का जुगाड़ करती है.

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बुजुर्ग दादी को इन चारों बच्चों की सता रही चिंता

इन बच्चों की इस हालात को देखकर सहज ही किसी को तरस आ जाता है. पढ़ने की उम्र में लड़कियों को मजदूरी करनी पड़ रही है, वहीं लड़कों को मवेशी चराने के लिए जंगल जाना पड़ता है. अपनी हालात को बयां करते हुए बुजुर्ग राजकली कुंवर फफक कर रो पड़ती है. रोते-रोते उसने बताया कि जब तक जिंदा हूं, तब तक किसी तरह से इन बच्चों की देखभाल में कोई कसर नहीं छोडूंगी. लेकिन, मेरे बाद इन अनाथ बच्चों का क्या होगा इसी की चिंता सताये जा रही है. दो- दो बेटियां हैं,उनका विवाह कैसे होगा इसकी चिंता भी उसे खाए जा रही है.

प्रशासन से नहीं मिला सहयोग

इधर, कुछ समाजसेवियों द्वारा इसकी सूचना चाइल्डलाइन को दी गयी थी. चाइल्डलाइन के लोग वहां पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और इसकी रिपोर्ट को बीडीओ को सौंप दिया गया है, लेकिन प्रशासन के अवसर पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

रिपोर्ट : रामनरेश तिवारी, पाटन, पलामू.

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