22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Chaitra Navratri 2022: देवी धाम में लगा मेला, मां की पूजा व प्रेत-बाधा मुक्ति के लिए उमड़ रहे श्रद्धालु

Chaitra Navratri 2022: पलामू जिला मुख्यालय से महज 85 किलोमीटर दूर हैदरनगर देवी धाम ऐतिहासिक, धार्मिक व पौराणिक कारणों से अंतरराज्यीय स्तर पर आस्था का केन्द्र बन गया है. देश के कई राज्यों से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं, लेकिन पीने के पानी की अच्छी व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग भटक रहे हैं.

Chaitra Navratri 2022: झारखंड के पलामू जिले के हैदरनगर स्थित देवी धाम परिसर में चैत्र नवरात्र पर मेला लगा है. वर्षों पुराना मेला कोरोना के कारण दो वर्षों से नहीं लगा था. इस साल पाबंदी हटी है. इसलिए चैत्र नवरात्र पर मेला लगाया गया है. मेले में बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. यहां श्रद्धालु न सिर्फ पूजा-अर्चना करते हैं, बल्कि झाड़फूंक व सिद्धियों से प्रेत-बाधा के प्रकोप से बचाव के लिए देवी की उपासना की जाती है. देश के कई राज्यों से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं, लेकिन पीने के पानी की अच्छी व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग भटक रहे हैं.

आस्था का केन्द्र देवी धाम

पलामू जिला मुख्यालय से महज 85 किलोमीटर दूर हैदरनगर देवी धाम ऐतिहासिक, धार्मिक व पौराणिक कारणों से अंतरराज्यीय स्तर पर आस्था का केन्द्र बन गया है. इस धाम में ना सिर्फ झारखंड बल्कि उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा व पश्चिम बंगाल के साथ-साथ पूरे देश के श्रद्धालु पहुंचते हैं. मान्यता है कि यहां पहुंच कर पूजा-अर्चना करने से लोगों के मनोवांछित कार्य पूर्ण हो जाते हैं. एक तरफ लोग पूजा अर्चना करते हैं, तो दूसरी तरफ ओझा अथवा तांत्रिक टोना, झाड़फूंक व सिद्धियों से प्रेत-बाधा के प्रकोप से बचाव के लिए देवी की भी उपासना में लीन रहते हैं. ये आस्था ही है कि देशभर से प्रेत के प्रकोप से शांति के लिए लोग यहां खींचे चले आते हैं. महिलाएं हवन कुंड व माता मंदिर के समक्ष स्वयं झूमने लगती हैं.

Also Read: Sarhul 2022:सीएम हेमंत सोरेन की घोषणा, हॉस्टल में होंगे रसोईया व चौकीदार, सरना स्थलों का होगा जीर्णोद्धार

कभी झोपड़ियों में स्थापित थीं माता

सात पिंडी स्वरूप माता कभी झोपड़ी में स्थापित थीं. अब वे गगनचुंबी भव्य मंदिर में विराजमान हैं. इनकी प्रतिष्ठित मूर्ति काले पत्थर से बनी हुई है. इसमें माता के सात रूप को दर्शाया गया है. जिन पर चांदी का कवर चढ़ा हुआ है. इसके साथ ही माता के ऊपर चांदी से बनी छतरी लोगों का मन मोह लेती है. इस धाम के इतिहास के जानकार कुंडल तिवारी बताते हैं कि वैसे तो इस देवी धाम का लिखित इतिहास दर्ज नहीं है, लेकिन इस मंदिर को उन्होंने अपने पूर्वजों से इसके सैकड़ों वर्षों से मौजूदगी की बात सुनी है. सबसे पहले इस मंदिर में यहां के स्थानीय पंडित दामोदर दुबे के समय आयोध्या से रामलीला मंडली के साथ नागाबाबा आए थे. नागाबाबा रामलीला मंडली के अच्छे व्यास भी थे, जो अयोध्या के प्रमोद वन के चेतन दास अखाड़ा से थे.

Undefined
Chaitra navratri 2022: देवी धाम में लगा मेला, मां की पूजा व प्रेत-बाधा मुक्ति के लिए उमड़ रहे श्रद्धालु 2

ऐसे बदली मंदिर की व्यवस्था

चेतन दास नागाबाबा के गुरु थे. दामोदर दुबे ने नागाबाबा को देवी धाम पर ही रुक कर पूजा करने का अनुरोध किया था. जिसके बाद से नागाबाबा ने पूजा अर्चना के साथ-साथ मंदिर में कई विकास के कार्य किए. सबसे पहले उन्होंने पत्थरों पर नक्कासी वाले खम्भों पर मंदिर का निर्माण कराया. नागाबाबा के बाद उनके गुरुभाई मुनि बाबा पूजा-अर्चना करने लगे. उन्होंने मंदिर का गोलनुमा गुंबद का निर्माण कराया था. मुनि बाबा के बाद उनके शिष्य सुरेंद्र दास त्यागी वर्तमान में मंदिर के गर्भगृह की पूजा अर्चना करते हैं. जिनके व मंदिर प्रबंधन समिति के प्रयास, श्रद्धालुओं के सहयोग व चढ़ावा में प्राप्त दान व अन्य से विशाल गुंबदनुमा मंदिर का निर्माण कराया गया है. हाल के वर्षों में प्रशासनिक पहल व हस्तक्षेप के साथ पर्यटन के दृष्टिकोण व श्रद्धालुओं की सुविधा के लिहाज से सौंदर्यीकरण व विकास के कई कार्य हुए हैं. प्रबंधन समिति के पदेन अध्यक्ष बीडीओ बनाये गए हैं.

Also Read: Jharkhand News: आय से अधिक संपत्ति मामले में सजायाफ्ता विधायक बंधु तिर्की ने खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा

धार्मिक एकता की मिसाल

देवी धाम मंदिर के प्रांगण में सप्त माता के विशाल गुंबदनुमा मंदिर के अलावा रामजानकी मंदिर, शिव पार्वती मंदिर, विशाल पीपल के पेड़ में ब्रह्मा स्थान के साथ-साथ जीन बाबा का मजार भी स्थापित है, जहां मंदिर में माता की पूजा के साथ-साथ जीन बाबा स्थान पर लाल मुर्गों को दाना चराने फातेहा देने की परंपरा भी है. शायद ही कोई श्रद्धालु उनके दर्शन के बगैर लौटता है. देवी धाम आने वाले श्रद्धालु भाईबिगहा स्थित कर्बला पर भी फातेहा करते हैं. यह सब मन्नत मानने व इसके पूरा होने पर किया करते हैं. यही वजह है कि देवी धाम धार्मिक एकता व भाईचारे का मिसाल है. मुख्य द्वार के सामने ही विशाल हवन कुंड है, जहां पर प्रेत-बाधा से ग्रस्त ओझा-गुणियों की मौजूदगी में लोग स्वयं झूमने लगते हैं. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से माता ही इनके कष्ट हर लेती हैं.

Also Read: Jharkhand News: झारखंड में अवैध माइका खदान में चाल धंसी, चार लोगों की मौत, कुछ के दबे होने की आशंका

चीनी की मिठाई का है महत्व

देवी धाम पर प्रसाद के रूप में चीनी की मिठाई ही देवी मां को अर्पित किया जाता है. इसका कारण यह है कि चीनी की मिठाई को शुद्ध माना जाता है. इसमें किसी प्रकार का तेल का उपयोग नहीं किया जाता है. इसके भी विशेष कारण बताए जाते हैं. बताया गया कि वर्षों पहले या यूं कहें कि शुरुआत से ही जमुहार (औरंगाबाद, बिहार) से यहां बसे हलवाई परिवार का माता की स्थापना में विशेष योगदान रहा है. आज भी संबंधित परिवार के दरवाजे पर यहां आये भक्त मत्था टेकने व विशेष अनुष्ठान के लिए पहुंचे बगैर नहीं लौटते हैं.

Also Read: Jharkhand News: झारखंड में दो बच्चों की मां के साथ फरार हुआ एक बच्चे का पिता, पति ने लगाई न्याय की गुहार

मेला को लेकर अधिकारी रहे सक्रिय

मेले की तैयारी को लेकर 15 दिनों से अधिकारी व प्रबंधन समिति के साथ बैठक कर रहे हैं, मगर मेला शुरू होते ही व्यवस्था की पोल खुल गई. पहले ही दिन पानी के लिए एक चापाकल पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. धाम परिसर स्थित सोलर संचालित जल मीनार भी खराब है. पीने के पानी की कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं है.

रिपोर्ट: जफर हुसैन

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें