Jharkhand News : झारखंड के पलामू जिले के मेदिनीनगर के साहित्य समाज चौक पर स्थित अभ्युदय हिंदी केंद्रीय पुस्तकालय (library in palamu) पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिये जाने के मामले में आयुक्त जटाशंकर चौधरी ने पलामू के जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीइओ) के वेतन निकासी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का निर्देश दिया है. आयुक्त श्री चौधरी मंगलवार शाम साहित्य समाज चौक स्थित पुस्तकालय पहुंचे. वहां अध्ययनरत विद्यार्थियों से बात कर पुस्तकालय से संबंधित जानकारी ली. साथ ही व्यवस्था का भी जायजा लिया. निरीक्षण के दौरान आयुक्त ने पाया कि इस पुस्तकालय में नियमित रूप से समाचार पत्र, प्रतियोगी पुस्तक व अन्य पुस्तक उपलब्ध नहीं करायी जा रही है.
जिला शिक्षा पदाधिकारी को पूर्व में ही कहा गया था कि पुस्तकालय (library palamu) को अपडेट रखें, लेकिन इसके बाद भी जिला शिक्षा पदाधिकारी का इस मामले में सक्रिय नहीं होना यह बताता है कि वह इस मामले को लेकर गंभीर नहीं हैं. ऐसे मामले बर्दाश्त के काबिल नहीं है. इसलिए वेतन पर तत्काल रोक लगाने को कहा गया है. साथ ही पुस्तकालय की व्यवस्था सुव्यवस्थित हो इसके लिए मुक्कमल व्यवस्था करने को कहा गया है.
पलामू के आयुक्त (palamu commissioner) ने इस मामले में बिजली विभाग के अभियंता को भी कड़ी फटकार लगायी. उन्होंने कहा कि ऐसे स्थानों पर बिजली काटने से पहले स्थान की गंभीरता को समझना चाहिए और जरूरत पड़ने पर वरीय पदाधिकारियों को पत्राचार करना चाहिए. सीधे बिजली काट देना समस्या का समाधान नहीं है. आयुक्त ने शिक्षा विभाग के प्रधान सहायक को एक सप्ताह के अंदर बकाये बिजली बिल का भुगतान करने का निर्देश दिया. साथ ही कहा कि भविष्य में बिजली बिल लंबित न रहे इसे भी सुनिश्चित करें. मालूम हो कि साहित्य समाज चौक पर स्थित केंद्रीय पुस्तकालय में बिजली काट दिये जाने की खबर को प्रभात खबर ने प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था. इस खबर के बाद पुस्तकालय का जायजा लेने स्वयं आयुक्त पहुंचे और विद्यार्थियों से बात कर उनका उत्साह बढ़ाया. कहा कि आगे बढ़ने के लिए पुस्तकों से मित्रता जरूरी है.
साहित्य समाज चौक स्थित केंद्रीय अभ्युदय पुस्तकालय पलामू (palamu library) के लिए ऐतिहासिक महत्व वाला है. वर्ष 1915 में आजादी की लड़ाई के दौरान इस पुस्तकालय की स्थापना हुई थी. इसकी स्थापना में पलामू के स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक सरोकार रखने वाले लोगों की सक्रिय भूमिका रही थी. आज जब आजादी का अमृत महोत्सव मन रहा है तो वैसे समय में ऐसे स्थानों का महत्व और भी बढ़ जाता है. कहा जाता है कि पुस्तक अध्ययन के प्रति लोगों में रुचि बढ़े इसके लिए सुदूर क्षेत्रों तक यहां की पुस्तक जाती थी. अभी इस पुस्तकालय में नये-पुराने पुस्तक को मिलाकर 20 हजार से अधिक पुस्तकें हैं, लेकिन अपेक्षित देखरेख व जागरूकता के अभाव में पुस्तकालय का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है, जबकि वर्ष 2019 में तत्कालीन उपायुक्त डॉ शांतनु कुमार अग्रहरी के प्रयास से इस पुस्तकालय को एक नया स्वरूप दिया गया था.
Posted By : Guru Swarup Mishra