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Happy Holi 2021 : प्राकृतिक रंग शरीर को नहीं पहुंचायेगा नुकसान, डॉ रामलखन बोले- रासायनिक रंग कभी प्राकृतिक रंगों का नहीं हो सकता विकल्प

Happy Holi 2021, Jharkhand News (पलामू) : रंगों का त्योहार होली में रंग का उपयोग करें, लेकिन सिर्फ प्राकृतिक रंग का ही. इससे शरीर को नुकसान नहीं पहुंचेगा. अब धीरे-धीरे प्राकृतिक रंग की ओर लोगों का झुकाव होने लगा है. यह जानकारी नीलांबर पीतांबर यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ रामलखन सिंह ने दी.

Happy Holi 2021, Jharkhand News (पलामू), रिपोर्ट- अविनाश : रंगों का त्योहार होली में रंग का उपयोग करें, लेकिन सिर्फ प्राकृतिक रंग का ही. इससे शरीर को नुकसान नहीं पहुंचेगा. अब धीरे-धीरे प्राकृतिक रंग की ओर लोगों का झुकाव होने लगा है. यह जानकारी नीलांबर पीतांबर यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ रामलखन सिंह ने दी.

नीलांबर पीतांबर विवि के कुलपति डाॅ रामलखन सिंह ने रंगों पर विशेष शोध किये हैं और इस विषय पर लखनऊ से PHD भी की है. कुलपति डाॅ सिंह की माने, तो होली में अधिक से अधिक प्रकृति रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए. रसानियक रंगो में जो केमिकल प्रयोग किया जाता है उसमें आर्सेनिक मिनरल का भी प्रयोग होता है और कुछ रसानियक रंग कैंसर के कारक होते हैं. इसलिए आज यह ज्यादा जरूरी हो गया है कि हम होली में प्रकृति की और लौटे.

कुलपति श्री सिंह ने कहा कि अभी कोरोना काल चरम है. ऐसे में यहां सभी का फोकस सरकारी गाइडलाइन का पालन करने के प्रति होना चाहिए. जहां तक प्राकृतिक रंगों की बात है, तो खास तौर पर पलामू पलाश के लिए जाना जाता है और पलाश के फूल से गुलाल बनाया जा रहें, तो इसका उपयोग अधिक से अधिक होना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि देखा जाये तो पूर्व में हल्दी और बेसन मिलाकर गुलाल बनाया जा सकता है. हल्दी से रंग बनाया जाता रहा है. गेंदे के फूल के साथ पलाश का फूल भी प्राकृतिक रंग का एक बड़ा स्रोत है. इससे हरा और नीला रंग बना सकते हैं. आज का जो दौर है उसमें हम सभी को यह बात भलीभांति समझना होगा कि प्राकृतिक रंग को अपना कर हम न सिर्फ अपनी संस्कृति और सभ्यता की रक्षा करेंगे, बल्कि स्वस्थ समाज और स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण की दिशा में कदम आगे बढ़ायेंगे. इसलिए इस बार की होली में हम सभी को प्रकृति की ओर लौटने का संकल्प लेते हुए प्राकृतिक रंग का प्रयोग होली में करना चाहिए.

कुलपति डाॅ सिह कहते यह भी सही है कि जो प्राकृतिक रंग है वह अधिक समय तक नहीं रहते और रसायनिक रंग छाप छोड़ते हैं. इसलिए लोग इसकी और आकर्षित हो जाते हैं. लेकिन, इस बात को समझना होगा कि इस चक्कर हम सभी कहीं न कहीं अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं. इसलिए लोगों को इस बात को भलीभांति समझना होगा कि रासायनिक रंग कभी प्राकृतिक रंगों का विकल्प नहीं हो सकता है.

Posted By : Samir Ranjan.

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