पर्यटन की क्षेत्र में झारखंड की प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ घने जंगलों के बीच बसे पुराने किलों की भी काफी अहिमियत है. ऐसे ही किलों में से एक है पलामू किला. पलामू के मुख्यालय मेदनीनगर के दक्षिण दिशा में कोयल नदी के तट पर अवस्थित शाहपुर किला पलामू इतिहास के सैकड़ों वर्षों की स्मृतियों को समेटे बद्हाल अवस्था में खड़ा हैलातेहार जिले में स्थित पलामू टाइगर रिजव और कोयल नदी के किनारे यह 2 किलो का अवशेष है. पुराना किला और नया किला. पुराना किला नीचे और नया किला उपर बसा हुआ है. पुराना किला किसने बनाया काफी मतभेद है.
पलामू में दो दुर्ग हैं जो वर्तमान समय में कुछ जर्जर हो चुके है, लेकिन ये आज भी इस क्षेत्र की शान हैं और पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण केंद्र है. दोनों किले अपनी खूबसूरती और अनकहे, अनसुलझे दास्तान लिये पर्यटकों को अपनी और खिंचता है. नये किले के दीवार अभी भी पुराने किलों से अधिक मजबूत है. यहां के मुंडेरों से चारों तरफ की प्राकृतिक खूबसूरती लाजवाब दिखती है. नये किले से पुराने किले को और पुराने किले से नये किले को देखना भी एक अलग अनुभूती देती है.
कहा जाता है कि इस किले से सुरंग के रूप में एक गुप्त मार्ग पलामू किला तक जाता था. इस किले में चेरो वंश के अंतिम शासक राजा और उनकी पत्नी चंद्रावती देवी की प्रतिमा स्थापित की गई है. शाहपुर मुख्य मार्ग पर स्थित इस किले से कोयल नदी समेत मेदिनीनगर क्षेत्र के मनोहारी प्राकृतिक दृश्य को देखा जा सकता है.
इन किलों में कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई है. बता दें कि दोनों किलों में बंगला फिल्मों की शूटिंग हुई थी. फिलहाल, यहां कई शॉर्ट फिल्म और गाने भी बनाये गये हैं.
कुछ वर्ष पूर्व इस किले को पुरातात्विक महत्व का घोषित किया गया हैं लेकिन इसके बावजूद भी यह चेरोवंशीय साम्राज्य के वैभवशाली इतिहास का मूक साक्षी अपनी दुर्दशा पर सिसकता नजर आता है.