सुगा बांध झरना घने जंगल व पहाड़ियों के बीच बहती नदी की धारा जब पहाड़ी से होकर गिरती है, तो इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है. शांत वातावरण में पक्षियों के कलरव के बीच नदी के पानी के उंचाई से गिरते पानी की आवाज दिल को छू लेती है.
सुगा बांध झरना का अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य आपको मौहित कर देगी. प्रकृति ने इसे दो हिस्सों में बांटा है. एक हिस्सा सामने की ओर जहां पानी कम गहरा है. अक्सर लोग इस हिस्से को पूरा सुगा बांध समझकर लौट जाते हैं. जबकि असली झरना छुपा हुआ है चट्टानों के पीछे. नदी पार करने के बाद आपको पलामू टाइगर रिजर्व की रानी सुगा बांध झरने का दीदार होगा.
150 फीट की उचाई से दो हिस्सों में बंटकर यह झरना नीचे गिरकर स्वीमिंग पुल के तरह बना दिया है. जहां उत्साहित पर्यटक नहाते भी है. जंगल की हरियाली, पत्थर की कठोरता और बलखाती लहरों की लचक आपको मत्रमुग्ध करने के लिए पर्याप्त है.
बहते नदी का पानी निर्मल होता है, पत्थरों की आकृति, उंची पहाड़ियां, चट्टानों की बीच से नदी की धार व उंचाई से गिरते पानी के दृश्य के साथ-साथ आसपास के पेड़-पौधों की हरियाली आने वालों के मन को बांध देता है. यहां घंटों समय गुजारकर लोग वापस जाते हैं.
फॉल के पास का नाजारा काफी मनमोहक है. नदी की धारा एक विशाल चट्टान से होकर गुजरती है. यहां बालू का नामोनिशान नहीं दिखता है. पानी का बहाव तेज रहता है, उंचे से गिरने के कारण दुधिया रंग का पानी फॉल से गिरता दिखता है. पानी के बहाव के कारण चट्टान के पत्थरों का कटाव अलग-अलग आकृति का बन गयी है, जो वहां की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं.
दिसंबर व जनवरी के महीने में यहां काफी भीड रहती है. पिकनिक स्पॉट के रूप में भी यह काफी प्रचलित है. यहां दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं और प्रकृति का आनंद लेते हुए पिकनिक मनाते हैं. बरसात के दिनों में इसकी आकृति कुछ और दिखायी देती है जबकि गरमी व जाडा में इसकी आकृति कुछ और.
सुगा बांध बेतला से 50 किलोमीटर की दूरी पर है. गारू-बारेसाढ़ पार करने के बाद कुछ ही दूरी पर सुगाबांध है जो मेनरोड से थोडा हटके है. वहां का पहुंच पथ थोड़ा संर्कीण है, लेकिन चारपहिया वाहन से आसानी से पहुंचा जा सकता है.