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Jharkhand News : MGNREGA से की आम की बागवानी, बंजर जमीन उगलने लगी सोना, पलामू के किसानों के चेहरे खिले

Jharkhand News: पलामू जिले के मोहम्मदगंज प्रखंड के गोडाडीह के 6 किसानों के भाग्य संवरने वाले हैं. यह इलाका कभी पुलिस व माओवादियों के बीच मुठभेड़ स्थल का गवाह था, जहां बारूद की गंध इस स्थल की पहचान थी. अब आम की मिठास व बागवानी की हरियाली बिखरने लगी है.

Jharkhand News: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी मनरेगा से झारखंड के पलामू जिले के मोहम्मदगंज प्रखंड के गोडाडीह के 6 किसानों के भाग्य संवरने वाले हैं. यह इलाका कभी पुलिस व माओवादियों के बीच मुठभेड़ स्थल का गवाह था, जहां बारूद की गंध इस स्थल की पहचान थी. अब आम की मिठास व बागवानी की हरियाली बिखरने लगी है. लाभुक किसानों के भाग्य अब बदलने वाले हैं. बंजर जमीन व वीरान जगह पर इन्होंने बागवानी की थी. अब आम की मिठास से किसानों की जिंदगी बदलने वाली है.

बागवानी से जिंदगी में बदलाव

बंगाल से लाये गये उन्नत किस्म के आम्रपाली व मल्लिका जैसे आम के पौधे लहलहाने लगे हैं. किसानों ने बताया कि आम के मंजर को तीन सालों तक पेड़ से अलग करते रहना है. उसके बाद ही निकले मंजर के बाद आम का फल पुष्ट व लोगों के लिए पौष्टिक बनता है. लाभुकों ने अपने खर्च पर सिंचाई का साधन कर लिया है. पटवन व पेड़ों की देखरेख का प्रशिक्षण बाकायदा लाभुक किसानों को दिया गया है. इस योजना को धरातल पर लाने में मनरेगा के तत्कालीन बीपीओ प्रभात कुमार व वर्तमान बीडीओ प्रभाकर ओझा का विशेष योगदान रहा. इच्छुक किसान, जिनके पास न्यूनतम 25 डिसमिल से लेकर अधिकतम 5 एकड़ तक की जमीन हो, वैसे किसान इस योजना का लाभ ले सकते हैं. लाभुक किसान बस अपनी जमीन ही देता है, बाकी का काम मजदूरी से लेकर जमीन की घेराबंदी, पौधा, खाद, दवा समेत अन्य कार्यों को मनरेगाकर्मियों की देखरेख में लाभुक किसानों की सहमति से पांच साल तक पूरी की जाती है.

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किसानों के सपने होने वाले हैं पूरे

बागवानी के बीच में किसानों को अंतर खेती की भी जानकारी दी गयी है. बागवानी के बीच खाली पड़ी जगह में आलू, टमाटर व अन्य सब्जियों की खेती कर सकते हैं. गोडाडीह पंचायत के काशी सोत डैम के नजदीक यह बागवानी अभी से लोगों के लिये आकर्षण बना है. इस तरह कुछ अलग करने की इच्छाशक्ति गोडाडीह के एक इंजीनियर सह किसान गुलाम सरवर की जेहन में थी. गुलाम सरवर अलीगढ़ से मेकेनिकल में बीटेक की शिक्षा हासिल की है. फिलहाल वे दिल्ली में रहते हैं. गुलाम सरवर के साथ-साथ इस बागवानी के लाभुक शेख मासूम, बिलाल अहमद, दिलजान, इम्तिआज़ अंसारी, नसीम कौसर हैं. बागवानी के लाभुक पेड़ों को बचाने को लेकर काफी सक्रिय हैं. इसी का नतीजा है कि जंगल, पहाड़ों व वीरान जगह पर लगी बागवानी के पेड़ आज भी सुरक्षित हैं. लाभुक अपनी आमदनी दोगुनी करने के सपने के काफी करीब हैं.

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आम की मिठास से बदलेगी किसानों की जिंदगी

तीन साल बाद मोहम्मदगंज प्रखंड के एक छोटे से बंजर व वीरान स्थल सबकी निगाह में होगी. यहां उन्नत किस्म के आम की मिठास की महक व इस क्षेत्र का नाम किसानों की मेहनत से रोशन होगा. मोहम्मदगंज बीडीओ प्रभाकर ओझा, बीपीओ निर्मल कांत ठाकुर व रोजगार सेवक नरेंद्र कुमार ने बागवानी की प्रगति देखी व लाभुक किसानों को पेड़ों की देखरेख के लिए विशेष हिदायत दी है. बागवानी की सुरक्षित देखरेख को लेकर बागवानी सखी का भी चयन किया गया हैं, जिसकी मजदूरी मनरेगा से दी जाती है. बीडीओ बागवानी की लगातार प्रगति से काफी खुश नजर आये. लाभुकों को इस योजना से हर सम्भव मदद करने की बात कही है. इस योजना से पंसा पंचायत में भी एक बगिया लहलहाने लगी है. उसमें भी कई फलदार पेड़ लगे हैं.

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रिपोर्ट : कुंदन कुमार, मोहम्मदगंज, पलामू

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