Jharkhand news: कभी आपसी विवाद, वैमनस्यता एवं वर्चस्व की लड़ाई के साथ नक्सली हिंसा की वजह से रक्तरंजित हुआ करती थी पलामू जिला के झारगाड़ा गांव की भूमि. लेकिन, मौजूदा दौर में गांव की तसवीर बदल गयी है. जो हाथ कभी बंदूक के जरिए विकास की बात सोचता था, आज उनकी सोच बदल गयी है. अब बंदूक की जगह जिंदगी को संवारने का माध्यम किताबें को बना लिया है. सचमुच यह बदलाव सपने को सच होने जैसा है. कहा जाता है कि जहां कहीं भी बड़े बदलाव हुएं हैं उसमें युवाशक्ति की भूमिका अहम रही है. झारगाड़ी गांव को बदलने के पीछे की कहानी की पटकथा भी खुद यहां के युवाओं ने ही लिखी है.
पलामू जिला के हुसैनाबाद प्रखंड मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर की दूरी पर पूरब-दक्षिण दिशा में झारखंड-बिहार सीमा पर स्थित है झारगाड़ा गांव. इस गांव में कुल 2550 मतदाता हैं. यहां लगभग एक हजार से अधिक घर है. आबादी 4500 के करीब है. कुछ वर्ष पीछे मुड़कर देखें, तो तीन दशक पूर्व इस गांव में आपसी रंजिश चरम पर था.
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि वर्ष 1985 से 1995 के बीच व्यापक पैमाने पर खून-खराबा हुई. इस दौरान 50 से अधिक हत्याएं हुई. आपसी मतभेद के कारण यह गांव नक्सली गतिविधियों का भी केंद्र रहा. तब आस-पास के गांवों में यह कहावत बन गयी थी कि झरगाड़ा मतलब झगड़ा. लेकिन, मौजूदा दौर पर गांव में बड़ा बदलाव हुआ है. पिछले एक-डेढ़ दशक से सरकारी सेवा में जाने के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा.
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गांव के बली चौधरी के पुत्र मिथिलेश चौधरी जेपीएससी परीक्षा में सफल होकर बीडीओ बने. इसके अलावा इधर 5- 7 वर्षों में रेलवे, शिक्षक, डिफेंस, इंजीनियरिंग, पोस्टऑफिस आदि विभागों में प्रतियोगिता की बदौलत सरकारी सेवा हासिल की है. जिसमें विश्वकर्मा प्रसाद गुप्ता, दुर्गा प्रसाद गुप्ता, राहुल प्रसाद गुप्ता, प्रकाश प्रसाद गुप्ता, बजरंगी प्रसाद गुप्ता, श्रवण प्रसाद गुप्ता, उदय गुप्ता, मोकार्रम हुसैन, धर्मेंद्र सिंह, धीरेंद्र सिंह, उदय यादव, दिनेश विश्वकर्मा, रामपूजन, नंदलाल, प्रिंस, भजन, सुभाष, शिवपूजन, धनजंय चंदन, मिथिलेश, कौशल कुमार रवि, गंगा, बजरंगी राम, उमेश, शिवनाथ, राधेश्याम, दिलीप आदि समेत तकरीबन तीन दर्जन सरकारी सेवा में हैं. जो 5 से 10 वर्षों के अंदर सरकारी नौकरी प्राप्त करने में सफल रहे हैं.
इस गांव में अब बच्चों को शुरू से ही यह बताया जा रहा है कि विवाद से दूर रहकर विकास के लिए शिक्षा पर ही फोकस करें. गांव के प्रदुमन साव के नेतृत्व में युवा शिव शक्ति संघ एवं राजू कुमार के नेतृत्व में बाजार युवा क्लब सरस्वती पूजा के अवसर पर गांव के बच्चों में सभी गतिविधियों पर प्रतियोगिता का आयोजन कर सम्मानित करती रही है. उक्त दोनों ने बताया कि बीते तीन वर्षों से इस तरह का आयोजन जारी है. उनका कहना है कि गांव में बेहतर शैक्षणिक माहौल कायम करना ही मकसद है, क्योंकि वे लोग नहीं चाहते कि गांव की नकारात्मक छवि बने.
गांव के बुजुर्ग बली चौधरी कहते हैं कि बच्चे अच्छा कर रहे हैं. सपना साकार हो रहा है. मेरा पुत्र शिक्षक से बीडीओ बन गया. सब मेहनत का प्रतिफल है. राजेंद्र प्रसाद गुप्ता के तीनों पुत्र सरकारी सेवा में हैं. उनका कहना है कि मेहनत बेकार नहीं जाता. मैं फेरी करता था, लेकिन बच्चों को अलग दिशा दिया. बच्चों ने मेहनत की. परिणाम सामने है.
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सेवानिवृत्त सैनिक अवध प्रसाद माली ने बताया कि आज गांव में बच्चों में आगे बढ़ने की ललक है. अभ्यास और मेहनत कर रहे हैं. अभिभावकों द्वारा भी सुविधा दी जा रही है. आनेवाले समय में और बेहतर परिणाम देखने को मिलेगा. यह सब युवाओं के सोच में आये बदलाव का ही नतीजा है.
रिपोर्ट : जितेंद्र प्रसाद, हुसैनाबाद, पलामू.