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मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की तर्ज पर झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व का लौटेगा गौरव, ये है तैयारी

Jharkhand News: पन्ना टाइगर रिजर्व में वर्ष 2009 में बाघों की संख्या सिर्फ पांच थी, जो बढ़कर 75 पहुंच गयी. वहां की सभी परिस्थितियों को बारीकी से समझने के लिए पीटीआर प्रबंधन के वरीय पदाधिकारियों ने पन्ना टाइगर रिजर्व का दौरा किया है.

Jharkhand News: मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की तरह पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में बाघ सहित अन्य वन्यजीवों के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य किया जायेगा. इसकी कवायद शुरू कर दी गयी है. पीटीआर में उन सभी प्रक्रियाओं को क्रियान्वित किया जाएगा, जिसने पूरी तरह से अस्तित्व खो चुके पन्ना टाइगर रिजर्व को पुनर्स्थापित कर दिया. इसके लिए पीटीआर प्रबंधन के द्वारा मंथन शुरू कर दिया गया है. पन्ना टाइगर रिजर्व को बाघों के संरक्षण में बेहतर कार्य करने के कारण वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में घोषित किया गया है.

बाघों की संख्या पहुंची 75

पन्ना टाइगर रिजर्व में वर्ष 2009 में बाघों की संख्या सिर्फ पांच थी, जो बढ़कर 75 पहुंच गयी. वहां की सभी परिस्थितियों को बारीकी से समझने के लिए पीटीआर प्रबंधन के वरीय पदाधिकारियों ने पन्ना टाइगर रिजर्व का दौरा किया है. पीटीआर में बाघों की घटती संख्या को देखते हुए ऐसा किया जा रहा है. पीटीआर के साउथ और नॉर्थ डिवीजन के दोनों डिप्टी डायरेक्टर तीन दिन के दौरे पर रहे. जानकारी के अनुसार वरीय पदाधिकारियों की टीम राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व का भी दौरा करेगी.

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पलामू टाइगर रिजर्व की बदलेगी तस्वीर

पलामू टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर कुमार आशीष ने बताया कि वर्तमान समय में जैसी विषम परिस्थिति पलामू टाइगर रिजर्व में है, उसी तरह की स्थिति कुछ वर्ष पहले पन्ना टाइगर रिजर्व में भी थी. पलामू टाइगर रिजर्व की तरह सड़कें, रेलवे लाइन, मवेशी, जन समूह का दबाव, जंगल के कोर एरिया में बसे गांव आदि वैसे कारण रहे थे, जिसके कारण पन्ना टाइगर रिजर्व का अस्तित्व खतरे में पड़ गया था, लेकिन बाद में सरकार, वन प्रबंधन और स्थानीय लोगों की सहभागिता ने पन्ना टाइगर रिजर्व का कायाकल्प कर दिया. उन्होंने बताया कि पीटीआर प्रबंधन का भी यह प्रयास है कि कैसे पलामू टाइगर रिजर्व के पुराने गौरव को लौटाया जा सके.

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पन्ना टाइगर रिजर्व की तरह बदलाव की कोशिश

पीटीआर के सभी विषम परिस्थितियों का अवलोकन कर रिपोर्ट तैयार की गयी है. यह निर्णय लिया गया है कि उन सभी प्रक्रियाओं को अपनाया जाए जिसके बल पर पन्ना टाइगर रिजर्व आज देश का प्रमुख टाइगर रिजर्व बन गया है. उन्होंने बताया कि सभी प्रस्ताव को नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) को भेजा गया है.

विषम परिस्थितियों का अवलोकन

पीटीआर के साउथ डिवीजन के डिप्टी डायरेक्टर मुकेश कुमार ने कहा कि पीटीआर की सभी विषम परिस्थितियों का बारीकी से अवलोकन किया गया है. पन्ना टाइगर रिजर्व से तुलना कर यहां की स्थिति में बदलाव का प्रयास किया जायेगा.

एनटीसीए को भेजा गया है प्रस्ताव

पीटीआर के नॉर्थ डिवीजन के डिप्टी डायरेक्टर कुमार आशीष ने कहा कि पीटीआर में बाघ सहित अन्य जंगली जानवरों के संरक्षण व संवर्धन में आने वाली अड़चनों को दूर करने का प्रस्ताव नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी( एनटीसीए) को भेजा गया है.

रिपोर्ट: संतोष कुमार

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