रांची: तीन वर्ष पूर्व बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत लगाए गए आम के पौधे अब फल देने को तैयार हो गए हैं, जो आने वाले समय में ग्रामीणों की आय का अतिरिक्त जरिया साबित होगा. कोरोना संक्रमण काल में इसकी नींव मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रखी थी. आज वही नींव ग्रामीणों के लिए आय का मजबूत आधार बन रहा है. लातेहार की बारियातु पंचायत के गाड़ी गांव की श्वेता की तरह झारखंड के बड़ी संख्या में ग्रामीण बिरसा हरित ग्राम योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सशक्तीकरण में अपना योगदान दे रही हैं. झारखंड के ग्रामीण इलाकों में आम के मंजर की खुशबू फैला रही है. तीन वर्ष में की गयी मेहनत का परिणाम है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 से अब तक फलदार पौधा लगाने, लाभुकों की संख्या एवं भूमि में लगाए गए पौधों के रकबा में दस गुना से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है.
तीन वर्ष में दस गुना वृद्धि
ग्रामीणों को अतिरिक्त आय उपलब्ध कराने के उद्देश्य से फलदार पौधा उपलब्ध कराने की योजना ने सही मायने में तीन वर्ष में गति दी है. आंकड़ों को देखने से स्पष्ट होता है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सशक्तीकरण को गति देने का प्रयास 2020 से शुरू हुआ. वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2019-20 के बीच 7,741 लाभुकों को योजना का लाभ मिला, जबकि 2020-21 से 2022-23 तक कुल 79,047 ग्रामीण योजना से लाभान्वित हुए. 2016-17 से 2019-20 तक कुल 5972.35 एकड़ में फलदार पौधरोपण किया गया, वहीं वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2022-23 तक 67,276.62 एकड़ भूमि में फलदार पौधे लगाए गए. फलदार पौधों की संख्या की बात करें तो वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2019-20 तक 6,31984 फलदार पौधे लगे. इस आंकड़े को पार करते हुए वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2022-23 तक यह संख्या बढ़कर 74,47,426 हो गई. सभी में दस गुना से अधिक वृद्धि तीन वर्ष में दर्ज की गई.
फलदार पौधरोपण में गुमला आगे
योजना के तहत पूरे राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में फलदार पौधा ग्रामीणों की मांग के अनुरूप उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन गुमला के लोगों ने आगे बढ़कर सबसे अधिक योजना का लाभ लिया. यहां के 12,599 लाभुकों ने अपनी भूमि पर फलदार पौधा लगाया है. दूसरे स्थान पर खूंटी के 8062 लाभुक, तीसरे स्थान पर पश्चिमी सिंहभूम के 6460 लाभुकों, चौथे स्थान पर रांची के 5875 लाभुकों एवं पांचवें स्थान पर गिरिडीह के 4544 लाभुकों ने योजना का लाभ लेते हुए अपने लिए अतिरिक्त आय के साधन का मार्ग प्रशस्त किया है.
फलों के साथ सब्जी की भी खेती
जहां एक ओर ग्रामीण अपने खेतों और टांड़ में फलदार पौधे लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर फलों के पौधों के आसपास अंतः कृषि की प्रणाली भी अपना रहे हैं. इन पौधों के आसपास मौसमी सब्जी की खेती भी हो रही है, जिससे इनकी आय में वृद्धि भी हुई है. इस विधि से फलदार पौधों को सब्जियों के साथ समय पर पानी और खाद मिल जाता है. इससे पौधों के मरने की दर में भी कमी दर्ज की गई है.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को करना है मजबूत
मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी बताती हैं कि बिरसा हरित ग्राम योजना का उद्देश्य ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है. सरकार इस दिशा में लगातार ग्रामीणों से संपर्क कर उन्हें योजना का लाभ दे रही है. इसके साथ-साथ ग्रामीण अंतः कृषि के तहत सब्जियों की भी खेती कर रहे हैं, जो सुखद है.