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खेती-किसानी : पॉली हाउस में सब्जियों की खेती कर लाखों में कमाई कर रहे किसान, जानें इसके फायदे

झारखंड में पॉली हाउस में खेती-बारी का प्रचलन धीरे-धीरे बढ़ने लगा है. हालांकि, अभी कई किसान इसके फायदे से अनजान हैं. वहीं, कृषि विशेषज्ञ पॉली हाउस में खेती-बारी से फसलें के डेढ़ गुणा अधिक पैदावार की बात कहते हैं. साथ ही मौसम की मार और कीट-फतंगों से भी पौधों खासकर सब्जियों का बचाव होता है.

Jharkhand News : गुमला के कई किसान पॉली हाउस में विभिन्न प्रकार के सब्जियों की खेती कर लाखों की कमाई कर रहे हैं. उद्यान विभाग के तहत महज 25 डिसमील जमीन पर बने पॉली हाउस में खेती कर किसान अच्छी आमदनी कमा रहे हैं. वहीं, अन्य विभाग के तहत करीब तीन एकड़ क्षेत्र में पॉली हाउस में खेती-बारी हो रही है. इससे हर साल सब्जियों की खेती में महज हजारों रुपये लगाकर कमाई लाखों में होने से किसान जमीन लीज में लेकर भी सब्जियों की खेती कर रहे हैं. जिले के कई किसान पॉली हाउस में टमाटर, धनिया, मिर्च, बोदी, करेला, खीरा, शिमला मिर्च, बैंगन सहित कई प्रकार की सब्जियों की खेती कर रहे हैं.

पॉली हाऊस में खेती-बारी से लाखों की कमाई, फिर भी किसान नहीं दिखाते रुचि

सब्जियों की खेती करने में किसान हजारों रुपये लागत में लगा रहे हैं और जब किसान फसल को बाजार में बिक्री कर रहे हैं, तो पैसे लाखों रुपये के रूप में आ रहे हैं. महज 25 डिसमिल जमीन पर ही किसान विभिन्न प्रकार के सब्जियों की खेती कर रहे हैं. जिससे किसानों को सालभर में पांच से छह लाख रुपये तक आ रहे हैं. इसके बावजूद पॉली हाउस में सब्जियों की खेती करने वाले किसानों की संख्या कम है.

नौ-नौ लाख रुपये की लागत से जिला उद्यान विभाग ने बनाया

गुमला जिला अंतर्गत सदर प्रखंड के धनगांव में महिला किसान मंगिया देवी, ऊपर खटंगा पंचायत में किसान आशीष कुमार तिवारी, रायडीह के परसा में महिला किसान जसमनी तिर्की एवं घाघरा के बेलागढ़ा में किसान जयहिंद बाड़ा पॉली हाउस में विभिन्न प्रकार के सब्जियों की खेती कर रहे हैं. किसानों के लिए पॉली हाउस लगभग नौ-नौ लाख रुपये की लागत से जिला उद्यान्न विभाग द्वारा बनाया गया है. किसान पॉली हाउस में सालों भर विभिन्न प्रकार के सब्जियों की खेती करते हैं. पॉली हाउस में फसलों का उत्पादन अधिक है. फसल उम्दा किस्म का रहता है. बाजार में इसकी डिमांड ज्यादा है.

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अधिकारियों ने पॉली हाऊस का किया निरीक्षण

इधर, विगत दिनों DDC हेमंत सती एवं सदर अनुमंडल पदाधिकारी रवि आनंद ने खटंगा पंचायत में किसान आशीष कुमार तिवारी के पॉली हाउस का निरीक्षण किया. निरीक्षण के क्रम में भूमि संरक्षण पदाधिकारी सह प्रभारी जिला उद्यान्न पदाधिकारी शिवपूजन राम, उद्यान्न विभाग के तकनीकी विशेषज्ञ दीपक कुमार, किसान आशीष कुमार तिवारी सहित अन्य किसान मौजूद थे.

डीडीसी ने किसानों से की बात

मौके पर डीडीसी ने किसान से बात किया. किसान ने बताया कि वह प्रत्येक साल पॉली हाऊस में टमाटर, धनिया, मिर्च, बोदी, करेला, खीरा, शिमला मिर्च, बैंगन जैसे फसलों की खेती करता है. खेती से उत्पादित फसलों से आमदनी अच्छी होती है. खुले में उत्पादित फसलों की अपेक्षा पॉली हाऊस में उत्पादित फसलों से डेढ़ गुणा अधिक आमदनी है.

तकनीकी विशेषज्ञ ने बताए फायदे

वहीं, तकनीकी विशेषज्ञ दीपक कुमार ने बताया कि पॉली हॉउस में उत्पादित होने वाली फसलों की सबसे विशेष बात यह है कि सभी फसलें एक साइज और उम्दा किस्म की होती है. खुले में खेती होने वाली फसलों की अपेक्षा पॉली हाउस में खेती-बारी में फसलों पर पानी, धूप, तेज हवा, कीट-फतंगे आदि से बचाव होता है. पॉली हाउस में फसल के अनुसार नमी हमेशा एक जैसी रहती है. जिससे फसल अच्छी होती है.

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डेढ़ गुणा अधिक होती पैदावार

खुले में उत्पादन होने वाले फसलों की अपेक्षा पॉली हाउस की फसले डेढ़ गुणा अधिक पैदावार होती है. महज 25 डिसमिल जमीन पर बने पॉली हाउस में एक बार में 1200 से 1750 पौधे लगा सकते हैं और लाखों रुपये में आमदनी होगी. इस पर डीडीसी ने विभागीय पदाधिकारी को पॉली हाउस को बढ़ावा देने एवं अधिकाधिक किसानों से पॉली हाउस में सब्जियों की खेती कराने का निर्देश दिया.

रिपोर्ट : जगरनाथ पासवान, गुमला.

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