जुगाड़ तकनीक से बनी सेनिटाइजिंग मशीन
कोरोना महामारी (covid -19 pandemic saftey) से बचाव के लिए हर स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं. चक्रधरपुर के व्यवसायी उदय जायसवाल ने जुगाड़ तकनीक (Jugad technique)से अपनी दुकान में बेकार पड़े सामानों से सेनिटाइजिंग बूथ और हैंड सेनेटाइजिंग मशीन (sanitizing machine) बनायी है, जो कोरोना संकट काल में (corona crisis period )कारगर साबित हो रहा है.
कोरोना महामारी से बचाव के लिए हर स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं. चक्रधरपुर के व्यवसायी उदय जायसवाल ने जुगाड़ तकनीक से अपनी दुकान में बेकार पड़े सामानों से सेनिटाइजिंग बूथ और हैंड सेनेटाइजिंग मशीन बनायी है, जो कोरोना संकट काल में कारगर साबित हो रहा है. पढ़ें पश्चिमी सिंहभूम से शीन अनवर की रिपोर्ट.
ऐसे बनाया सेनिटाइजिंग बूथ
व्यवसायी उदय जायसवाल ने होर्डिंग में लगने वाले स्क्वायर बार पाइप से सेनेटाइजिंग बूथ का ढांचा तैयार किया. घरों के दरवाजे पर लगने वाले एसीपी सीट से बॉक्स व दीवार, घरों के बाथरूम में इस्तेमाल होने वाले सावर से सेनिटाइजिंग सावर, वाटर प्यूरिफाइंग मशीन में इस्तेमाल किये जाने वाले पतले पाइप से वायरिंग की. आधा एचपी का मोटर पंप लगाया और बिजली कनेक्शन देकर सेनिटाइजिंग बूथ तैयार किया. ट्रांसपैरेंट प्लास्टिक के परदे से बूथ का दरवाजा बनाया. इसमें कुल 18 हजार रूपये खर्च आये. चक्रधरपुर के पवन चौक स्थित अनुमंडल अस्पताल में दूसरा सेनिटाइजिंग बूथ स्थापित किया. विधायक सुखराम उरांव ने पश्चिमी सिंहभूम जिले के उपायुक्त अरवा राजकमल व डीडीसी आदित्य रंजन के सहयोग से सेनिटाइज के लिए केमिकल उपलब्ध करवाया. सेनिटाइजिंग बूथ में प्रवेश करते ही शरीर सेनिटाइज हो जाता है.
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आठ हैंड सेनिटाइजिंग मशीन भी बनायी
सेनिटाइजिंग बूथ की सफलता के बाद उदय जायसवाल ने जुगाड़ तकनीक से आठ हैंड सेनिटाइजिंग मशीन बनायी. पैर से पुश करने पर सेनिटाइजर बाहर निकलता है, जो हाथों को सेनिटाइज करता है. इसकी लागत 1800 रुपये है. थाना, बैंक एवं अस्पतालों में इसका उपयोग किया जा रहा है.