पवन कुमार
रांची का एक ऐसा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिसे बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने और संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में लक्ष्य अवार्ड से सम्मानित किया है. रातू का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राज्य का इकलौता स्वास्थ्य केंद्र है, जिसे यह अवार्ड मिला है. बुनियादी सुविधाओं से लैस इस अस्पताल की साफ-सफाई देखते ही बनती है. रातू प्रखंड के गांवों के अलावा यहां मांडर, कांके, बुंडू, नामकुम, चान्हो एवं बेड़ो प्रखंड की महिलाएं प्रसव के लिए आती हैं. रांची जिले के अलावा यहां चतरा, रामगढ़, लोहरदगा, साहिबगंज, लातेहार, खूंटी और हजारीबाग तक की महिलाएं संस्थागत प्रसव के लिए यहां आती हैं, क्योंकि यहां उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलती हैं.
महीने में 200-250 प्रसव होते हैं
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रातू के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुजीत कुमार कश्यप बताते हैं कि पहले की अपेक्षा इस अस्पताल में अब ज्यादा प्रसव होते हैं. महिलाएं भी संस्थागत प्रसव के फायदे को समझने लगी हैं. यही कारण है कि रांची के अलावा दूसरे जिले की गर्भवती महिलाएं यहां प्रसव के लिए आती हैं. इस स्वास्थ्य केंद्र में हर महीने 200 से 250 महिलाओं का प्रसव होता है.
एंबुलेंस सेवा का मिल रहा लाभ
108 एंबुलेंस सेवा की शुरुआत होने के बाद गर्भवती महिलाओं को काफी फायदा हुआ है. पहले की अपेक्षा शिशु और मातृ मृत्यु दर में काफी कमी आयी है. अब पहले की अपेक्षा गर्भवती महिलाएं समय पर अस्पताल पहुंच जाती हैं. सही समय पर इलाज हो जाने से जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं.
मिलता है नाश्ता और फल
मां और बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर सरकार काफी गंभीर है और इसका परिणाम भी दिखने लगा है. महिला के गर्भधारण के दिन से उस क्षेत्र की सहिया उनका काफी ख्याल रखती हैं. समय पर टीकाकरण किया जाता है. प्रत्येक महीने की नौ तारीख को केंद्र में महिलाएं स्वास्थ्य जांच के लिए आती हैं. उस दिन गर्भवती महिलाओं के लिए नाश्ता और फल का इंतजाम स्वास्थ्य केंद्र की ओर से किया जाता है, ताकि महिलाएं देर तक भूखे न रहें. महिलाओं को अस्पताल तक लाने के लिए ममता वाहन और 108 एंबुलेंस का सहारा लिया जाता है. अस्पताल में रहने के दौरान महिला को नि:शुल्क पौष्टिक आहार दिया जाता है. अस्पताल में संस्थागत प्रसव कराने के एवज में गर्भवती महिला के बैंक खाते में 1400 रुपये दिये जाते हैं. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत 6,000 रुपये की वित्तीय सहायता गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में प्रसव के बाद महिला के बैंक खाते में प्रदान की जाती है.
कम हो रही है महिलाओं में कुपोषण की शिकायत
पहले की अपेक्षा अब गर्भवती महिलाओं में कुपोषण के मामले कम आते हैं. पहले की बात करें, तो पहले 10 गर्भवती महिलाओं में से तीन से चार महिलाओं में खून की कमी होती थी. पर, अब 100 महिलाओं में से पांच महिलाओं में ही खून की कमी के मामले आते हैं. संस्थागत प्रसव और लगातार जांच के कारण गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित प्रसव होता है.
अब जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित : डॉ सुजीत कुमार कश्यप
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रातू के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुजीत कुमार कश्यप ने कहा कि अब महिला और बच्चों की सुरक्षा के लिए कई कारगर कदम उठाये जा रहे हैं. सहिया के जरिये ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है. इससे संस्थागत प्रसव में बढ़ोतरी हुई है. जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रहें, इसकी जिम्मेदारी हमारी होती है.
सुरक्षित प्रसव हमारी जिम्मेदारी : अल्पना
केंद्र की ओटी प्रभारी अल्पना बताती हैं कि जब भी महिलाएं स्वास्थ्य केंद्र पहुंचती हैं, तो वह बेहतर इलाज के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं. ज्यादा संवेदनशील मामलों को रांची रेफर किया जाता है. बेहतर सेवा के कारण ही इस स्वास्थ्य केंद्र को लक्ष्य अवार्ड से सम्मानित किया गया है.