Natural Farming In Jharkhand: झारखंड के साहिबगंज समेत नौ जिलों में जल्द ही किसानों को प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग दी जाएगी. किसानों को रासायनिक खाद का इस्तेमाल करना छोड़ प्राकृतिक खेती करने के लिए बढ़ावा को लेकर जागरूक किया जाएगा. देशभर के 425 जिलों में प्राकृतिक खेती करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इसके तहत किसानों को प्राकृतिक खेती के तरीके बताए जाएंगे. केवीके के मुख्य कृषि वैज्ञानिक डॉ. अमृत कुमार झा प्राकृतिक खेती के लिए आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में भाग लेने राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर (मध्य प्रदेश) पहुंचे.
रासायनिक खाद का नहीं करें इस्तेमाल
प्राकृतिक खेती करने के लिए किसानों को प्रशिक्षण देकर जागरूक किया जाएगा, ताकि मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहे. रासायनिक खाद का उपयोग खेतों में नहीं करने, खेतों में ज्यादा से ज्यादा गोबर, खाद और गौ मूत्र का उपयोग करके किसान प्राकृतिक खेती करें, ताकि खेतों में केंचुआ की संख्या में वृद्धि हो सके. रासायनिक खाद के उपयोग से खेत के केंचुआ का संख्या में कमी आ रही है, जिससे खेतों की उर्वरा शक्ति में कमी आ रही है.
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देश के 425 जिलों के किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण
कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. अमृत कुमार झा ने बताया कि देश के 425 जिलों में प्राकृतिक खेती करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. झारखंड के नौ जिलों का भी चयन किया गया है, इसमें गंगा की नगरी साहिबगंज का भी चयन किया गया है. इस कार्यक्रम में किसानों को प्राकृतिक खेती करने के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा. प्राकृतिक खेती करने के लिए जागरूक किया जाएगा और प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रत्यक्षण भी कराया जाएगा. रासायनिक खाद से मिट्टी का स्वास्थ्य पूरी तरह से खराब हो रहा है. प्राकृतिक खेती के चार अवयव हैं बीजामृत, जीवामृत, कणजीवामृत, दसप्रमिंक. किसान एक देसी गाय पालकर 30 एकड़ जमीन में खेती कर सकता है. खेत में सिर्फ देसी गाय का गोबर और गौमूत्र का उपयोग करके किसान अपने खेत में प्राकृतिक खेती करके अच्छी पैदावार कर सकता है.
रिपोर्ट : नवीन कुमार, साहिबगंज