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Jharkhand News : झारखंड के Chandil Dam में हो रही मोती की खेती, किसान ऐसे कमा सकते हैं 8 गुना मुनाफा

Jharkhand News : सरायकेला के चांडिल डैम में पहले चरण में मोती की खेती प्रयोग के तौर पर की जा रही है. इसके बाद बड़े पैमाने पर इसकी खेती की योजना है. चांडिल डैम में बांध मत्स्य समिति के बैनर तले विस्थापित किसानों द्वारा किया जा रहा केज पद्धति से मछली पालन पूरे राज्य में मिसाल है.

Jharkhand News : झारखंड के सरायकेला जिला मुख्यालय से लगभग 50 किमी दूर चांडिल की प्रसिद्ध स्वर्णरेखा परियोजना, जहां पहली बार किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए मोती की खेती शुरू की गयी है. पायलट प्रोजेट के तहत किसान बुद्धेश्वर मोती की खेती कर रहे हैं. चांडिल डैम की पहचान सिर्फ मछली पालन से ही नहीं, बल्कि मोती की खेती के रूप में भी होगी. कम खर्च में अधिक मुनाफा के लिए मोती की खेती कर सकते हैं. मोती की खेती में 8 गुना मुनाफा कमा सकते हैं.

प्रयोग के तौर पर मोती की खेती शुरू

चांडिल डैम में पहले चरण में मोती की खेती प्रयोग के तौर पर की जा रही है. इसके बाद बड़े पैमाने पर इसकी खेती की योजना है. चांडिल डैम में बांध मत्स्य समिति के बैनर तले विस्थापित किसानों द्वारा किया जा रहा केज पद्धति से मछली पालन पूरे राज्य में मिसाल है. डैम के विस्थापित मछली पालन से जुड़कर न सिर्फ स्वरोजगार कर रहे हैं, बल्कि मछली पालन के लिए प्रोत्साहन को लेकर इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है, ताकि ये मत्स्य पालन आधुनिक तकनीक से कर सकें. मछली पालन के क्षेत्र में सफलता मिलने के बाद अब किसान मोती की खेती करने में जुटे हुए हैं और प्रयोग के तौर पर इससे शुरू कर दिया गया है. मोती की खेती कर रहे किसान बुद्धेश्वर मांझी ने बताया कि जिला मत्स्य कार्यालय व पूर्ति एग्रोटेक रांची के सहयोग से इस इस वर्ष मोती की खेती शुरू की गयी है. प्रयोग के तौर पर 3000 मोती की खेती की जा रही है. मोती की खेती करने के तरीके से लेकर आधुनिक तकनीक की जानकारी पूर्ति एग्रोटेक द्वारा दी जा रही है.

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मछली पालन के केज में हो रहा मोती की खेती

किसान बुद्धेश्वर ने बताया कि मोती एक वर्ष में तैयार होती है. मछली पालन के केज में ही मोती की खेती हो रही है. मोती की खेती शीप से की जाती है. मछली के मल शीप का फिडिंग है. केज में मछली का वृहत स्तर पर पालन हो रहा है. उससे निकलने वाले वेस्टेज शीप का फीडिंग है. इसके लिए अलग से फीड की व्यवस्था भी नहीं करनी पड़ती है. केज में मोती खेती के लिए बीज डाल दिया गया है. मोती की खेती करते लगभग छह माह पूरे हो गये हैं. जनवरी 2023 में मोती निकलेंगे.

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बाजार में बिकता है 400 रुपये

किसान बुद्धेश्वर मांझी ने बताया कि मोती की खेती करना काफी लाभदायक है. एक मोती की खेती करने में 50 रुपये ही खर्च आता है, जबकि मोती जब तैयार हो जाता है इससे मार्केट में 400 रुपये से अधिक मिलते हैं यानी खर्च का आठ गुना फायदा मिलता है. इस वर्ष तीन हजार मोती यानी 12 लाख का कारोबार होना का अनुमान है, जबकि इसमें खर्च अधिकतम डेढ़ लाख होगा.

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हैदराबाद में है मार्केट, अभी से मिलने लगे हैं ऑर्डर

बुद्धेश्वर ने बताया कि मोती का मार्केट हैदराबाद में है. अभी से ही ऑर्डर मिलने लगे हैं. मार्केट की व्यवस्था भी पूर्ति एग्रोटेक द्वारा की गयी है. जैसे ही मोती तैयार हो जाएगी वैसे ही इससे भेज दिया जाएगा. मोती की खेती काफी फायदेमंद है. इससे तालाब में भी किया जा सकता है. इसमें मुनाफा अधिक है.

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मछली पालन के सात मोती की खेती

मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार ने बताया कि मत्स्य पालन के साथ-साथ अब मोती पालन के लिए भी चांडिल की पहचान बनेगी. वहां के विस्थापित किसानों को दोगुना लाभ होगा. मछली के साथ-साथ उसी केज में मोती की खेती कर सकेंगे. इसके लिए अलग से कुछ करना नहीं पड़ेगा. मोती खेती, मत्स्य पालन से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.

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रिपोर्ट : प्रताप मिश्रा/शचिंद्र दाश, सरायकेला

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