शोभा की गुड़िया विदेशों तक पहुंची
राजधानी रांची की महिलाओं द्वारा लकड़ी के बुरादे से बनायी गयी गुड़िया आज अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड जैसे देशों में कई लोगों के घरों की शोभा बढ़ा रही हैं. रांची में भी इन महिलाओं द्वारा बनाये गये हैंडबैग और गुड़िया की खूब मांग है
पवन कुमार : राजधानी रांची की महिलाओं द्वारा लकड़ी के बुरादे से बनायी गयी गुड़िया आज अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड जैसे देशों में कई लोगों के घरों की शोभा बढ़ा रही हैं. रांची में भी इन महिलाओं द्वारा बनाये गये हैंडबैग और गुड़िया की खूब मांग है. इसका पूरा श्रेय जाता है शोभा कुमारी को. रांची के न्यू अलकापुरी, डिबडीह में शोभा सृजन हैंडीक्राफ्ट के बैनर तले इन जरूरतमंद महिलाओं को पहले ट्रेनिंग देती हैं.
इसके बाद जो महिलाएं उनके साथ जुड़कर काम करना चाहती हैं, वो उनके साथ काम करती हैं और जो महिलाएं खुद अलग से काम करना चाहती हैं, वो अलग से काम करती हैं. शोभा कुमारी कई महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बना रही हैं.
स्कूली शिक्षक के तौर पर हुई शुरुआत : शोभा कुमारी बताती हैं कि पहले वो मुरी स्थित मुरी हिंडालको हाईस्कूल में आर्ट एंड क्राफ्ट की शक्षिका थीं. इसके बाद वर्ष 2007 में रांची आ गयीं. यहां आने के बाद उन्होंने जरूरतमंद महिलाओं को लगभग पांच-छह वर्ष तक नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया. पहले महिलाएं सिखीं, उसके बाद उन्होंने बनाना शुरू किया. तब स्थानीय स्तर पर अपने उत्पाद को बेचने लगीं. इसके अलावा खादी मेला, सावन मेला और दूसरे मेलों में जाकर बेचने लगीं. इससे उन महिलाओं को आय होने लगी.
एक हजार से अधिक महिलाओं को दे चुकी हैं प्रशिक्षण : शोभा बताती हैं कि वर्ष 2011 में सृजन हैंडीक्राफ्ट के नाम से उनकी संस्था का निबंधन हुआ. इसके पहले और इसके बाद से जो भी महिलाएं उनके पास आती हैं, उन्हें वो नि:शुल्क प्रशिक्षण देती हैं. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा प्रशिक्षित महिलाओं की जिंदगी में बदलाव आया है. उनके पास खुद का चारपहिया वाहन है. उनसे प्रशिक्षण पाने के बाद महिलाएं हर महीना चार से पांच हजार रुपये कमा लेती हैं.
महिलाओं की िजंदगी में आयेगा बदलाव : शोभा बताती हैं कि उनके पास बहुत ऐसी महिलाएं हैं, जो कम पढ़ी-लिखी हैं. आर्थिक तौर पर संपन्न परिवार से नहीं आती हैं. उन महिलाओं को प्रशिक्षित करके उनके जीवन में बदलाव लाना है. इसके अलावा उनके साथ सुशीला देवी, फूलमनी कच्छप, निशा मेहता और सुनीता एक्का काम करती है. इन महिलाओं का काफी सहयोग रहता है.
Post by : Pritish Sahay