जच्चा-बच्चा की खुशी के लिए बरतें सावधानी
पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत जुड़ी पंचायत के प्रेमनगर स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 117 की सेविका मुन्नी कुमारी और केंद्र संख्या 28 की सेविका सीमा चटर्जी गर्भवती महिलाओं का खास ख्याल रखती हैं.
वीरेंद्र कुमार सिंह
पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत जुड़ी पंचायत के प्रेमनगर स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 117 की सेविका मुन्नी कुमारी और केंद्र संख्या 28 की सेविका सीमा चटर्जी गर्भवती महिलाओं का खास ख्याल रखती हैं. गर्भधारण से लेकर प्रसव के बाद भी उन्हें आवश्यक जांच कराने और पौष्टिक आहार लेने समेत अन्य सलाह देती हैं, ताकि जच्चा-बच्चा सुरक्षित रहें.
आंगनबाड़ी केंद्र में विशेष देखभाल
सेविका मुन्ना कुमारी कहती हैं कि गर्भवती महिलाएं आंगनबाड़ी केंद्र आती हैं. यहां इनका रजिस्ट्रेशन किया जाता है. टीकाकरण दिवस के दिन उन्हें टीका देने की व्यवस्था की जाती है. उस दिन महिला का वजन, ब्लड प्रेशर व खून की जांच की जाती है. जांच के बाद उन्हें टेटनस की सुई दी जाती है. गर्भधारण के दूसरे महीने में महिला को फिर टेटनस की सुई दी जाती है. उन्हें आयरन व कैल्शियम की गोली दी जाती है. गर्भवती महिलाओं को संतुलित आहार लेने और संस्थागत प्रसव की सलाह दी जाती है, ताकि जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित रहें.
महिलाओं का संस्थागत प्रसव जरूरी : सीमा चटर्जी
आंगनबाड़ी सेविका सीमा चटर्जी कहती हैं कि गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव अतिआवश्यक है. हर साल 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस इस उद्देश्य से मनाया जाता है कि जच्चा-बच्चा के चेहरे पर हमेशा खुशी रहे. गर्भवती महिला के निधन से न केवल बच्चों से मां का आंचल छीन जाता है, बल्कि पूरा परिवार ही बिखर जाता है. बच्चा होने पर एक घंटे के अंदर शिशु को दूध पिलाने और छह माह तक बच्चों को मां का दूध पिलाने की सलाह दी जाती है. सात माह होने पर बच्चे को पतला दलिया व आलू का पेस्ट देने को कहा जाता है. आंगनबाड़ी केंद्र में मुहजुठी कार्यक्रम भी किये जाते हैं. सात से नौ माह होने पर बच्चे को रुचि के अनुसार भोजन देना चाहिए. नौ माह तक उसे आयरन की गोली खाने को कहा जाता है.