आज गांव- गांव में गरीब महिलाओं के लिए सखी मंडल और ग्राम संगठन बन चुके हैं. इसी को देखते हुए सखी मंडल की महिलाओं को ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण (जीपीडीपी) में शामिल करना पिछले तीन वर्षों से अनिवार्य कर दिया गया है एवं उन्हें ग्राम गरीबी निराकरण योजना बनाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गयी है. इसके अंतर्गत सखी मंडल की दीदियां ग्रामीणों के हक एवं अधिकार की योजना के साथ आजीविका योजना, सार्वजनिक संपत्ति, सेवा और संसाधनों के विकास की योजना एवं सामाजिक विकास की योजना निर्माण में अपनी भागीदारी निभाने में जुट गयी हैं. पढ़िए समीर रंजन की यह रिपोर्ट.
ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण में सखी मंडल की महिलाओं की भागीदारी से गरीब और कमजोर वर्ग के लोग अपने गांव के विकास के लिए योजना बनाने में सक्रिय रूप से शामिल हो पाते हैं. ये महिलाएं उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग, स्थानीय आवश्यकता और समस्याओं की पहचान कर उसे चिह्नित करना, विकास कार्य के क्रियान्वयन, सेवा प्रदान करने और सामुदायिक अभिसरण (कन्वर्जन) में सहयोग करती हैं. इसके अलावा सरकारी योजनाओं की जानकारी हर ग्रामीण को देने के उद्देश्य से प्रचार-प्रसार करना, लामबंदी (मोबलाइजेशन) और डॉक्यूमेंटेंशन में मदद कर ग्रामसभा को मजबूती प्रदान करती हैं.
जीपीडीपी में सामुदायिक संगठनों की भूमिका : झारखंड पंचायत राज अधिनियम, 2001 के तहत राज्य में ग्राम पंचायतों को सामाजिक तथा आर्थिक विकास के लिए ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) बनाने का कार्य सौंपा गया है. इसमें संविधान की 11वीं अनुसूची में परिभाषित 29 विषयों से संबंधित सभी केंद्रीय मंत्रालयों /विभागों की योजनाओं को शामिल किया गया है.
इसके तहत कृषि, भूमि सुधार, लघु सिंचाई, पशुपालन, मत्स्य पालन, सामाजिक वानिकी, लघु वनोत्पाद, लघु उद्योग, ग्राम एवं कुटीर उद्योग, ग्रामीण आवास, पेयजल, ईंधन एवं चारा, सड़कें, ग्रामीण विद्युतीकरण, गैर परंपरागत ऊर्जा, निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम, शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, प्रौढ़ और अनौपचारिक शिक्षा, पुस्तकालय, सांस्कृतिक क्रियाकलाप, बाजार और मेले, स्वास्थ्य और स्वच्छता, परिवार कल्याण, महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण, कमजोर वर्गों का कल्याण, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, सामुदायिक परिसंपत्तियों का रख- रखाव. इसके अलावा पेसा क्षेत्र में कुछ अतिरिक्त शक्तियां भी दी गयी हैं जैसे बाजार, हाट मेले का प्रबंधन, स्थानीय योजनाओं, ट्राइबल सब प्लान के स्रोतों एवं व्यय पर नियंत्रण एवं राज्य सरकार द्वारा किसी कानून के अंतर्गत दी गयी शक्तियों का प्रयोग एवं जिम्मेदारियों का निर्वहन.
सखी मंडल की महिलाओं की जिम्मेदारी : योजना निर्माण के समय ग्रामीण महिलाएं कई तरह की सूचना संग्रह करती हैं. इसके तहत सखी मंडल और ग्राम संगठन आजीविका मिशन के तहत चक्रीय निधि, सामुदायिक निवेश कोष एवं बैंक लिंकेज का उल्लेख एवं समीक्षा करना होता है. साथ ही अगले वर्ष के लिए योजना बनायी जाती है. इसके अलावा हक और अधिकार की योजना के तहत मनरेगा योजना में मनरेगा जॉब कार्ड, मनरेगा कार्य की मांग, व्यक्तिगत कार्य की मांग और सामुदायिक कार्य की मांग संबंधी बातें ग्रामीणों से चर्चा कर उसका दस्तावेज तैयार करती हैं.
दूसरी ओर, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) के तहत वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, दिव्यांग पेंशन, विधवा सम्मान योजना (राज्य संपोषित- 18 से 40 वर्ष की महिलाओं के लिए) और विशिष्ट जनजातीय समूह (पीवीटीजी) के लिए राज्य संपोषित पेंशन योजना के लाभुकों की सूची तैयार करती हैं. वहीं, स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण और गांवों में साफ-सफाई की योजना, आयुष्मान भारत योजना, उज्ज्वला योजना, राशन कार्ड, डाकिया योजना, सौभाग्य योजना (प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना), झारखंड मुख्यमंत्री सुकन्या योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिए योग्य लाभुकों की सूची तैयार करती हैं.
आजीविका संबंधी योजना निर्माण एवं लाभुकों की सूची तैयार करना : सखी मंडल की दीदियां हक और अधिकार योजना के अलावा अपने सदस्यों के लिए आजीविका योजना तैयार करती है. कृषि क्षेत्र में व्यक्तिगत कृषि एवं सामूहिक कृषि, पशुपालन में व्यक्तिगत एवं सामूहिक पशुपालन के इच्छुक लाभुकों के लिए योजना तैयार करती हैं. सूक्ष्म उद्यम के लिए व्यक्तिगत योजना के साथ-साथ छोटे समूह में भी उद्यम चलाने की योजना बनाती हैं.
दो अक्तूबर से 31 दिसंबर, 2020 तक चलेगा अभियान : हर वित्तीय वर्ष की तरह इस वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए भी ग्राम पंचायतों को अपने समग्र विकास के लिए लोक योजना अभियान चला कर ग्राम पंचायत विकास योजना का निर्माण करना है. यह अभियान दो अक्तूबर से 31 दिसंबर, 2020 तक चलाया जायेगा. अभियान का उद्देश्य है पंचायती राज के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के अंतर्गत निर्मित लाखों महिला स्वयं सहायता समूहों को मजबूत करते हुए ग्राम विकास में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करना है.
ग्राम गरीबी निवारण योजना : ग्राम स्तर पर सखी मंडल की महिलाएं समूह की बैठक में सरकारी योजनाओं पर चर्चा करती हैं. साथ ही अपने हक एवं अधिकार की योजना सहित आजीविका की योजना तैयार कर ग्राम संगठन को सौंपती हैं. यह सामुदायिक मांग आधारित योजना होती है. फिर इसका समेकन ग्राम स्तर पर किया जाता है. ग्राम स्तर पर योजनाओं के समेकन के समय पंचायत प्रतिनिधि, विभिन्न विभागों से जुड़े कर्मी जैसे शिक्षक, आंगनबाड़ी सेविका, सहिया, जल सहिया आदि एवं गांव के अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहते हैं. उनकी उपस्थिति में सार्वजनिक वस्तु, सेवा और संसाधनों के विकास की योजना एवं सामाजिक विकास की योजना बनायी जाती है.
इस योजना को ग्रामसभा द्वारा स्वीकृत किया जाता है. अगले चरण में सभी गांव से प्राप्त योजनाओं का पंचायत स्तर पर समेकन होता है और पंचायत के पास उपलब्ध संसाधनों के आधार पर इसमें प्राथमिकीकरण करते हुए इसे ग्राम पंचायत विकास योजना में शामिल किया जाता है. साथ ही जो योजनाएं पंचायत के स्तर की नहीं है उनकी मांग संबंधित विभागों को भेजना होता है. इस प्रकार से जहां सखी मंडल एवं उसके संगठनों का सशक्तीकरण होता है, वहीं यह पंचायतों को जीपीडीपी योजना बनाने का आधार प्रस्तुत करता है. साथ ही ग्राम संगठन और पंचायती राज संस्थाएं आमने-सामने बैठकर विकास की योजना बनाने और ग्रामीणों की मांग को इस योजना में शामिल कर उन्हें विकास कार्यों में भागीदारी का अवसर प्रदान करती है.
Post by : Pritish Sahay