पटना. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर देश सहित राज्य के 50 हजार बैंककर्मी सोमवार से दो दिवसीय हड़ताल पर चल गये. पहले दिन बिहार में इसका व्यापक असर देखा गया. राज्य की 6088 बैंक शाखाओं में ताले लटके रहे, जिससे लगभग 70 हजार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन बाधित रहा.
बैककर्मियों ने पूरे दिन अपनी-अपनी बैंक शाखाओं के गेट पर धरना-प्रदर्शन किया और बैंकों के निजीकारण की सरकार की नीति के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. साथ ही हड़ताली कर्मचारी और अधिकारियों ने स्टेट बैंक, इलाहाबाद बैंक, यूको बैंक और यूनियन बैंक के मुख्यालय के समक्ष सभा आयोजित की. धरना- प्रदर्शन का नेतृत्व यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस बिहार इकाई के संयोजक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया स्टॉफ एसोसिएशन के महासचिव संजय कुमार सिंह और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव अजीत कुमार मिश्रा ने किया.
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव डीएन त्रिवेदी ने पहले दिन की हड़ताल पूरी तरह सफल रही और मंगलवार को भी बैंककर्मी अपनी मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन करेंगे.
ये भी रहे शामिल : एआइबीओए बिहार स्टेट कमिटी के महासचिव डॉ कुमार अरविंद , एसबीआइएसए के उपाध्यक्ष शाह हसन, उप महासचिव विजय कुमार राय, देवेंद्र सिंह, बैंक इंप्लाइज फेडरेशन के अध्यक्ष बी प्रसाद, महासचिव जय प्रकाश दीक्षित, सुधीर कुमार सिंह आदि शामिल रहें.
ये नहीं हुए शामिल : रिजर्व बैंक, राज्य सहकारी और निजी बैंकों के कर्मचारी-अधिकारी इस हड़ताल में शामिल नहीं हुए .
बैंककर्मियों ने घूम- घूमकर एटीएम को जबरन बंद कराने का प्रयास किया. इससे कई इलाकों में एटीएम देर शाम तक बंद रही. इसके कारण लोगों को पैसे निकालने के लिए भटकना पड़ा.
दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक के बाइपास स्थित प्रधान कार्यालय के समक्ष सैकड़ों ग्रामीण बैंककर्मियों ने निजीकरण के विरुद्ध प्रदर्शन करते हुए ग्रामीण बैंक में 11वीं द्विपक्षीय वेतन समझौता शीघ्र लागू करने की मांग की.
Posted by Ashish Jha