बिहार के मुजफ्फरपुर चंद्रलोक चौक निवासी आशुतोष कुमार को आधार कार्ड की मदद से एक नाबालिग लड़की के अपहरण की गुत्थी सुलझाने के लिए यूनियन होम मिनिस्टर मेडल मिला है.आशुतोष सीबीआइ में डीएसपी के पद पर भोपाल में कार्यरत है. मूल रूप से कुढ़नी प्रखंड के चंद्रहट्टी के रहने वाले है.
2020 में हाईकोर्ट के ग्वालियर बेंच ने एक नाबालिग के अपहरण केस का मामला सुलझाने के लिए केस को सीबीआइ के हवाले कर दिया था. जिसके आइआो आशुतोष कुमार बनाये गये थे. 2017 में भिंड जिले से एक नाबालिग लड़की का अपहरण हो गया था. इसमें अरुण कुमार पाल समेत दो पर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.
दरअसल उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के एक गांव के अरुण पाल का उसी गांव की एक किशोरी से प्रेम हो गया था. जब नाबालिग के परिवार को अफेयर का पता चला, तो लड़की को मध्य प्रदेश के भिंड जिले में उसकी मौसी के यहां भेज दिया गया. लेकिन अरुण वहां से उसे लेकर फरार हो गया. अपहरण का मामला दर्ज होने के बाद तीन साल बाद भी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की पुलिस नाबालिग का पता लगाने में विफल रही, तो परिजन हाईकोर्ट चले गये. कोर्ट ने जनवरी 2020 में केस को सीबीआइ के हवाले कर दिया.
11 माह में सीबीआइ ने ढूंढ निकाला– सीबीआइ ने 11 माह में ही अपहृता को पंजाब के पटियाला से ढूंढ निकाला. सीबीआइ नामजद आरोपित अरुण के आधार कार्ड से पूरे मामले की गुत्थी सुलझायी थी. सीबीआइ बैंकों से पूछताछ की कि क्या आधार कार्ड का उपयोग करके अरुण ने कोई खाता खोला है. पता चला कि पंजाब के पटियाला जिले के राजपुरा में कार्ड का इस्तेमाल कर खाता खोला गया था. सीबीआइ वहां पहुंच गयी.
बैंक अधिकारियों से कहा कि अरुण को फोन कर कहे कि उसके द्वारा जमा किये गये नकद में एक नोट नकली है. उसकी उपस्थिति में नष्ट करना होगा. यह जान कर अरुण बैंक पहुंचा तो उसे सीबीआइ ने हिरासत में ले लिया गया. हालांकि इस दौरान नाबालिग को ढाई साल का बच्चा भी था. दोनों शादी कर पटियाला में रह रहे थे. सीबीआइ ने दोनों को कोर्ट में उपस्थित कराया था. जिसके बाद लड़की को उसकी नारी निकेतन भेज दिया गया था.
Posted By : Avinish Kumar Mishra