पटना में पिछले कुछ दिनों से पारा 42 डिग्री से ऊपर चल रहा है. दोपहर 11 बजे से शाम पांच बजे तक लू जैसे हालात हैं. इतनी गर्मी होने के बावजूद लोगों को रूटीन का काम निपटाना है. आम लोगों की जरूरत को देखते हुए अब बिहार राज्य पथ परिवहन निगम पटना में सिटी बस में चलने वाली एसी गाड़ियों के फेरे को बढ़ाने जा रहा है. इसके साथ ही नॉन एसी बसों के फेरे कम किए जायेंगे, ताकि लोग अधिक से अधिक एसी वाली सिटी बसों में सफर कर सकें. हालांकि पटना में रोजाना 40 हजार लोग सिटी बसों से सफर करते हैं और इस हिसाब से सिटी बसों के बेड़े में एसी बसों की संख्या कम है. ऐसे में लोगों की मजबूरी हो जाती है कि नॉन एसी बसों में सफर करें.
बाकीपुर से अभी पूरे पटना में सिटी बसों का संचालन होता है और यहां से 170 सिटी बसें खुलती हैं. जानकारी के मुताबिक, पटना डिपो में कुल 32 ही एसी बसें हैं. पारा बढ़ने की वजह से आम मुसाफिरों ने नॉन एसी बसों से मुंह मोड़ लिया है और एसी वाली सिटी बसों में ठसाठस भीड़ हो रही है. हालात ऐसे हैं कि एसी वाली सिटी बसों में मई के अंतिम हफ्ता से पैर रखने की जगह नहीं है. बिहार राज्य पथ परिवहन निगम (बीएसआरटीसी) को पटना में एसी वाली सिटी बसों के फेरे बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा जायेगा और इस पर एक दो दिन में फैसला हो जायेगा. सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही पटना में सिटी बसों से चलने वाले मुसाफिरों को राहत देने वाला फैसला लिया जायेगा. इसके साथ ही नॉन एसी वाली बसों की संख्या में कमी की जा सकती है और इसके फेरे भी घटाये जा सकते हैं.
मई 2018 में पटना में 40 सीटों की क्षमता वाली सिटी बसों का सफर हुआ, तब के परिवहन विभाग के सचिव संजय अग्रवाल की अगुवाई में सिलसिलेवार तरीके से पटना की सड़कों पर सिटी बसों का उतारा गया. मकसद था पीली वाली टैक्सी बसों की जगह उजले रंग वाली सिटी बसें लें. इस मकसद में सफलता जरूर मिली लेकिन एसी वाली बसों पर निगम का ध्यान नहीं रहा. हालांकि बीएसआरटीसी की तरफ से 60 सिटी वाली बसों के लिए कवायद की जा रही है. अगस्त तक 60 बसें पटना की सड़कों पर उतरेंगी. 29 एसी बसें हैं.
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