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बिहार में आठ क्षेत्रीय भाषाओं की अब होगी एक अकादमी, शिक्षा विभाग ने तैयार किया प्रस्ताव

पुनर्गठन के बाद नव गठित अकादमी का नाम बिहार क्षेत्रीय भाषा अकादमी होगा. सभी क्षेत्रीय भाषा अकादमियां स्कूल ऑफ लैंग्वेज के रूप में अलग विंग के रूप में बनी रहेंगी, लेकिन उनका प्रबंधन एक निकाय के रूप में ही होगा.

बिहार की मैथिली, भोजपुरी, मगही, संस्कृत, अंगिका, बांग्ला सहित आठ क्षेत्रीय भाषा अकादमियों का पुनर्गठन किया जा रहा है. इसमें दो क्षेत्रीय भाषाओं मसलन सिरजापुरी और वज्जिका को भी जोड़ा जायेगा. इनकी कमान एक ही निदेशक के पास होगी. हालांकि, क्षेत्रीय भाषाओं की विंग अलग-अलग ही रहेंगी. पुनर्गठन के बाद नव गठित अकादमी का नाम बिहार क्षेत्रीय भाषा अकादमी होगा. सभी क्षेत्रीय भाषा अकादमियां स्कूल ऑफ लैंग्वेज के रूप में अलग विंग के रूप में बनी रहेंगी, लेकिन उनका प्रबंधन एक निकाय के रूप में ही होगा. अकादमियों के पुनर्गठन अंतिम दौर में है.

सरकार चाहती है कि अकादमियों को संवारा जाये

दरअसल शिक्षा विभाग को फीडबैक मिला है कि दो-तीन अकादमियों को छोड़ दें तो राज्य की अधिकतर भाषा अकादमी बेहद अव्यवस्थित हैं. पिछले कुछ साल में भाषा विकास में उनकी कोई बड़ी भूमिका नहीं रही है. किताबों का प्रकाशन भी अपेक्षित नहीं हुआ है. लिहाजा सरकार चाहती है कि अकादमियों को संवारा जाये.

सीएम नीतीश कुमार ने 2022 में भाषा अकादमी के पुनर्गठन का दिया आठ निर्देश

दरअसल 23 सितंबर, 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाषा अकादमी का पुनर्गठन करने के लिए कहा था. सीएम ने कहा था कि पुनर्गठित अकादमी का नाम क्षेत्रीय भाषा अकादमी रखा जाये. इसमें विभिन्न विषयों के अलग-अलग विभाग गठित हों. उस बैठक में सीएम ने वज्जिका, सुरजापुरी और अन्य भाषाओं को भी इसमें जोड़ने के लिए कहा था. सुरजापुरी, हिंदी, मैथिली और बांग्ला का मिश्रण है, जो बिहार के सीमांचल क्षेत्र -पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया जिले में बोली जाती है.

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भाषाओं की बेहतरी के लिए नए प्रबंधन करने जा रहा है शिक्षा विभाग

दूसरी तरफ, मैथिली से मिलती- जुलती बज्जिका मुजफ्फरपुर, वैशाली, पश्चिमी चंपारण और शिवहर जिलों में बोली जाती है. फिलहाल शिक्षा विभाग भाषाओं की बेहतरी के लिए अकादमियों का नये सिरे से एकीकृत प्रबंधन करने जा रहा है.

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