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बिहार में यूरिया की किल्लत पर कृषि मंत्री ने कहा- 40 फीसदी किसानों की खाद की जरूरत नहीं हो रही पूरी

बिहार में यूरिया की किल्लत किसान झेल रहे हैं. जिले के कई सेंटर पर सुबह से ही किसानों की लंबी कतार दिख रही है. शनिवार को छपरा सदर प्रखंड की बाजार समिति, इसुआपुर, अमनौर, बनियापुर, तरैया, दिघवारा आदि प्रखंडों में विस्कोमान के सभी वितरण केंद्रों पर यूरिया उपलब्ध नहीं होने का बोर्ड लगा दिया गया.

बिहार में खाद को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. किसानों को इस महीने में खेती के लिए सबसे ज्यादा खाद की जरूरत होती है, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कम खाद की आपूर्ति होने से किसान परेशान हैं. यूरिया 37, डीएपी 33 फीसदी कम आपूर्ति हुई. चौंकाने वाली बात यह थी कि सरप्लस मिलने वाले एनपीके और एमओपी की आपूर्ति भी एकदम कम हो गयी. सारण जिले में वर्तमान जरूरत के 60 फीसदी ही यूरिया पहुंच पाया है. जिले मेंअबतक 18 हजार एमटी यूरिया पहुंचना चाहिए. आइए जानते प्रभात खबर से खास बातचित में कृषि मंत्री ने क्या कुछ कहा…

राज्यभर के किसान उर्वरक की समस्या से परेशान हैं. स्टॉक कितना है? वर्तमान में स्थिति क्या है?

कृषि मंत्री: यह बात सही है. किसान उर्वरक को लेकर परेशान हैं. 40 फीसदी किसानों की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है. केंद्र से यूरिया कम मात्रा में मिल रही है. सात लाख 90 हजार टन के अलाटमेंट के मुकाबले 20 दिसंबर तक मात्र 63 फीसदी ही यूरिया की आपूर्ति हुई. भारत सरकार आवंटन की तुलना में आपूर्ति नहीं कर पा रही है. केंद्र से मिले उर्वरक को जरूरत के आधार पर वितरण कराया जा रहा है.

निगरानी के लिए विशेष समितियों का गठन किया गया है. भाजपा का दावा है कि केंद्र सरकार से सरप्लस उर्वरक मिला है.

कृषि मंत्री: भाजपा के आरोप तथ्यहीन और गुमराह करने वाले हैं. राजनीतिक हित के लिए भाजपाई उर्वरक की आपूर्ति से से जुड़े सभी आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं कर रही है. केंद्र सरकार से राज्य उर्वरक की जो मांग कर रहा है, वह स्वीकार कर ली जा रही है. भाजपा बस इसी आंकडे को प्रचारित कर रही है. भाजपा यह क्यों नहीं बता रही है कि राज्य सरकार ने कब कितनी मांग रखी. उसके मुकाबले केंद्र से कितना आवंटन किया. आवंटन के मुकाबले केंद्र ने बिहार को उर्वरक भेजा कितना. केंद्र ने कब- कब कितने टन के रैक बिहार को पहुंचाये हैं, यह भी बताएं. मांग स्वीकार कर लेना और पूरी कर देना दोनों अलग स्थिति है. केंद्र उर्वरक की मांग स्वीकार कर रहा है लेकिन पूरी नहीं कर रहा.

कृषि विभाग उर्वरक की कालाबाजारी नहीं रोक पा रहा है. कालाबाजारी के कारण संकट बना हुआ है.

कृषि मंत्री: पर्याप्त आपूर्ति ही इसका उपाय है. जैसे रसोई गैस की कालाबाजारी खत्म इसलिए हुई कि अब आसानी से गैस उपलब्ध है. मैं न पक्ष की बात कर रहा हूं न विपक्ष की. किसान के मामले में राजनीति नहीं सोल्यूशन होना चाहिए. किसी चीज की क्राइसिस होती है तभी तो वह ब्लैक होती है. कालाबाजारी रोकने को बनी कमेटियों में जनप्रतिनिधि भी हैं.

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संजय जायसवालका दावा…

भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने दावा किया है कि सूबे के किसी भी जिले में खाद की किल्लत नहीं है. किल्लत को लेकर राज्य सरकार के कृषि मंत्री द्वारा केंद्र सरकार पर आरोप लगाये जाने पर उन्होंने बकायदा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जिलावार खाद की उपलब्धता का डेटा जारी कर इसकी सफाई दी है. उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री खाद की कमी के बारे में बिहार की जनता से झूठ बोल रहे हैं. 19 दिसंबर तक बिहार में 97 हजार मीट्रिक टन यूरिया और 66 हजार मीट्रिक टन डीएपी, 26 हजार मीट्रिक टन एमओपी और 72 हजार मीट्रिक टन एनपीकेएस स्टॉक खाद उपलब्ध थी. वहीं, पटना मे पूरे दिसंबर महीने की जरूरत 12652 मीट्रिक टन की है, जबकि उपलब्धता 13787 मीट्रिक टन की है.

राज्य में कहीं भी खाद की कमी नहीं

23 दिसंबर तक गोदाम में 3926 मीट्रिक टन खाद उपलब्ध था. डॉ जायसवाल ने कहा है कि एक भी जिला ऐसा नहीं है, जहां खाद उपलब्ध नहीं हो. सच यही है कि बिहार में कृषि अधिकारी और खाद्य वितरकों का माफिया गठजोड़ हो गया है. इसके लिए कृषि मंत्री को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर मेरे द्वारा सोशल मीडिया पर उपलब्ध कराया गया डेटा गलत साबित करते हुए मुझ पर झूठ फैलाने का एफआइआर दर्ज करा कर दिखाएं. केंद्र सरकार द्वारा किसानों के लिए उपलब्ध कराये गये खाद को बिहार के कृषि पदाधिकारी और होलसेलर आपस में बांट रहे हैं.

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