आमस-दरभंगा एनएच-119 डी ग्रीनफील्ड फोरलेन एक्सप्रेसवे का निर्माण जमीन अधिग्रहण की लेटलतीफी के कारण अटक गया है. इस सड़क के बनने से सात जिले को कनेक्टिविटी मिलनी है. इसमें औरंगाबाद, जहानाबाद, नालंदा, पटना, वैशाली, समस्तीपुर और दरभंगा जिले शामिल हैं. इसमें सबसे अधिक खराब हालत जहानाबाद जिले की है. वहां जमीन अधिग्रहण के मुआवजे की करीब 10 फीसदी राशि का ही भुगतान हो पाया है. वहीं, समस्तीपुर जिले की सबसे अच्छी स्थिति है. वहां करीब 90 फीसदी भुगतान हो चुका है. अन्य जिलों में भी भुगतान धीमा है. करीब 60 से 70 फीसदी ही भुगतान हो पाया है.
सूत्रों के अनुसार पहले इसका निर्माण मई-जून 2022 में शुरू होने की बात कही जा रही थी, इसके बाद अक्तूबर-नवंबर 2022 से निर्माण शुरू होने की संभावना जतायी गयी. अब 14 जनवरी, 2023 के बाद सड़क का निर्माण शुरू करने की कोशिश हो रही है, लेकिन जहानाबाद जिले में जमीन अधिग्रहण का पेच फंसे होने के कारण निर्माण में समस्या आने की आशंका है. इस जिले में जमीन अधिग्रहण के भुगतान की यदि ऐसी ही स्थिति रही, तो निर्माण शुरू होने में कम -से -कम छह महीने की और देरी हो सकती है. यह आमस-दरभंगा एक्सप्रेसवे कई मायनों में महत्वपूर्ण है. इससे इससे और दक्षिण बिहार को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी. साथ ही भविष्य में यह झारखंड बाॅर्डर से नेपाल बॉर्डर को भी जोड़ेगा.
इस एक्सप्रेसवे का निर्माण चार पैकेज में करीब 199 किमी लंबाई में करीब 6927 करोड़ रुपये की लागत से होना है. इसे बनाने के लिए निर्माण एजेंसी का चयन हो चुका है. पहले चरण में आमस – शिवरामपुर खंड पर करीब 55 किमी, दूसरे चरण में शिवरामपुर – रामनगर खंड पर करीब 54.30 किमी लंबाई में सड़क बनेगी. तीसरे चरण में समस्तीपुर के कल्याणपुर से दरभंगा के बलभद्रपुर तक करीब 45 किमी और चौथे चरण में टाल दसराहा – बेला नवादा खंड में करीब 44.09 किमी में सड़क बनेगी.
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सूत्रों के अनुसार यह एनएच औरंगाबाद के आमस के निकट एनएच-19 से शुरू होगी. इसके बाद जहानाबाद, नालंदा और पटना के कच्ची दरगाह-बिदुपुर सिक्स लेन गंगा पुल से होकर हाजीपुर के कल्याणपुर, समस्तीपुर के ताजपुर से होते हुए दरभंगा के बेला – नवादा के पास एनएच-27 में जाकर मिल जायेगी. पटना जिले में रामनगर से कच्ची दरगाह-बिदुपुर पटना रिंग रोड का भी हिस्सा है.आमस-दरभंगा सड़क गोपालगंज – किशनगंज एनएच को स्वर्णिम चतुर्भुज मोहनिया – डोभी एनएच से जोड़ेगा.