पटना. जमीन की रसीद में सुधार हो या दाखिल-खारिज से जुड़े मामले, इसमें किस प्रकार से अंचल कार्यालयों में आवेदकों को दौड़ाया और परेशान किया जाता है, इसका एक उदाहरण बिहार लोक शिकायत निवारण अधिनियम, 2015 के तहत डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह के समक्ष दायर द्वितीय अपील के दौरान सामने आया है. करीब एक साल से अधिक समय तक अनुमंडल व जिला स्तर के लोक शिकायत निवारण अधिकारी के समक्ष अपील दायर करने के बाद भी आवेदक सबलपुर निवासी राकेश सुमन की राजस्व रसीद में सुधार नहीं हुआ, क्योंकि पटना सदर सीओ ने इसमें कोई कार्रवाई नहीं की. अंत में आवेदक ने डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह के समक्ष द्वितीय अपील दायर की.
शुक्रवार को उक्त अपील की सुनवाई डीएम ने की और सुनवाई में पाया कि लोक प्राधिकार सदर सीओ ने लोक शिकायत निवारण में लापरवाही व स्वेच्छाचारिता बरती है. इसके बाद डीएम ने उन पर 25 सौ रुपये का जुर्माना लगाया. साथ ही सीओ को अगली सुनवाई की तिथि 16 दिसंबर, 2022 के पूर्व परिवादी की शिकायत का निवारण कर प्रतिवेदन देने का निर्देश दिया. द्वितीय अपील की सुनवाई के दौरान डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह ने पटना नगर निगम के पटना सिटी अंचल के कार्यपालक पदाधिकारी और जिला शिक्षा पदाधिकारी अनुपस्थित पाये गये. इसके बाद उन दोनों से डीएम ने स्पष्टीकरण मांगा है. साथ ही सीओ को अगली सुनवाई की तिथि 16 दिसंबर, 2022 के पूर्व परिवादी की शिकायत का निवारण कर प्रतिवेदन समर्पित करने का निर्देश दिया.
अंचलों में डाटा इंट्री ऑपरेटरों की कमी के कारण ही बड़ी संख्या में लोग परेशान हो रहे हैं. दस्तावेजों में पति के नाम को पिता कर दिया जाता है और रकबा को घटा-बढ़ा दिया जाता है. ऑनलाइन रसीद में किसी के रकबा में जीरो रहता है. इन्हीं सब को सुधारने के लिए लोग परिमार्जन का आवेदन देते हैं.
पटना सदर के सबलपुर निवासी राकेश सुमन ने राजस्व रसीद में सुधार के लिए पटना सदर अंचल में आवेदन किया था. लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद उन्होंने 22 सितंबर ,2021 को अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, पटना सिटी के समक्ष वाद दायर किया. यह परिवाद उन्होंने राजस्व रसीद के सुधार के संबंध में सीओ, पटना सदर द्वारा कार्रवाई नहीं करने के संबंध में किया गया था. लेकिन, वहां भी उनका काम नहीं हुआ, तो राकेश सुमन ने जिलास्तर पर अपर समाहर्त्ता, लोक शिकायत निवारण के समक्ष प्रथम अपील में वाद दायर किया.
अपर समाहर्त्ता, लोक शिकायत निवारण ने सुनवाई की और सीओ, पटना सदर को निर्धारित विभिन्न तिथियों में प्रथम अपीलीय प्राधिकार के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया प्रतिवेदन मांगा गया. लेकिन, वह न तो उपस्थित हुए और न ही कोई प्रतिवेदन समर्पित किया. यहां भी राकेश सुमन को काम नहीं हुआ. इसके बाद आवेदक राकेश सुमन ने बिहार लोक शिकायत निवारण अधिनियम, 2015 के तहत डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह के समक्ष द्वितीय अपील दायर किया गया.