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पटना में प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी: इलाज के नाम पर मोटी फीस, बगैर जरूरत के देते हैं दवाएं

पटना के कई निजी अस्पतालों में इलाज के नाम पर मनमानी का आरोप लगता रहा है. अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था पारदर्शी न होने से मरीजों को कुछ पता नहीं चलता है कि उनसे किस बात के पैसे लिये जा रहे हैं.

राजधानी पटना के कई निजी अस्पतालों में इलाज के नाम पर मनमानी हाल के दिनों में चर्चा में है. सोशल मीडिया पर इसे लेकर लोग अपना आक्रोश जाहिर कर रहे हैं. दरअसल ऐसे अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था पारदर्शी न होने से मरीजों को कुछ पता नहीं चलता है. कभी विशेषज्ञ डॉक्टर, तो कभी आइसीयू या वेंटिलेटर के नाम पर मरीजों के परिजनों को लंबा-चौड़ा बिल दे दिया जाता है. यही नहीं, अब ऐसे अस्पतालों में अनावश्यक दवा या सूई दिये जाने के आरोप भी लग रहे हैं.

कोविड नहीं, फिर भी भर्ती से पहले तीन तरह के टेस्ट :

शहर के निजी अस्पताल व क्लिनिकों में डॉक्टरों की फीस हाल के दिनों में बढ़ी है. अस्पतालों में एक मरीज को देखने के लिए एक ही दिन में 1500 से 5000 रुपये लिये जा रहे हैं. अन्य बीमारियों के मरीजों का इलाज करने से पहले भी कोरोना जांच के लिए ही तीन अलग-अलग टेस्ट- आरटीपीसीआर, रैपिड एंटीजन और चेस्ट का सीटी स्कैन भी किये जाते हैं.

निजी अस्पताल आज भी कोविड जांच करा रहे

सरकारी अस्पतालों में भर्ती करने से पहले अब कोविड जांच बंद है, लेकिन निजी अस्पताल आज भी जांच करा रहे हैं. जिले में करीब तीन हजार से अधिक निजी हॉस्पिटल संचालित हैं. अस्पताल खुद से सभी तरह की जांच कराते हैं और अगर मरीज थोड़ा कम पढ़ा लिखा होता है तो उसको बीमारी और अधिक बता दिया जाता है. कई बार तो अनावश्यक रूप से मरीज को आइसीयू में भेज दिया जाता है.

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पूर्व विकास आयुक्त को दी गयी गलत सूई :

पूर्व विकास आयुक्त विजय प्रकाश (रिटायर आइएएस) ने एक बड़े निजी अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया. उन्होंने फेसबुक पर लिखा है कि मार्च के पहले सप्ताह में उलटी, दस्त व तेज बुखार के बाद उनकी तबीयत खराब हो गयी. लेकिन संबंधित अस्पताल में भर्ती होने के बाद बिना जरूरत के एक बोतल खून चढ़ा दिया गया. इसके बाद उनको बाहर से दो दवा लाने को कहा गया, जो मलेरिया की दवा थी. जबकि बुखार उतर चुका था.

जदयू नेता के परिजनों ने लगाये थे आरोप :

11 मार्च को जदयू के प्रदेश सचिव संजय सिन्हा की एक निजी अस्पताल में इलाज के क्रम में मृत्यु हो गयी थी. स्व सिन्हा के भाई जयेश सिन्हा ने मामला दर्ज कराते हुए कहा था कि उनके भाई की शल्य चिकित्सा से पूर्व सभी प्रकार के जांच किये गये. इस दौरान हृदय संबंधित जांच में पाया गया कि उनका हृदय मात्र 25 से 30 प्रतिशत ही सही तरीके से कार्यरत है. बावजूद ऑपरेशन कर दिया गया और लापरवाही से मौत हो गयी.

डिस्चार्ज बिल में पूरी बातें लिखी जानी चाहिए

भर्ती के दौरान मरीज का क्या-क्या इलाज हुआ है डिस्चार्ज बिल में पूरी बातें लिखी जानी चाहिए. यह बातें नहीं लिख जा रही हैं तो अस्पतालों पर कार्रवाई होनी चाहिए.

डॉ डीएस सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, आइएमए बिहार

शिकायत पर जांच करायी जायेगी- बोले सीएस

प्राइवेट हॉस्पिटल में मरीज से ठगी होती है, या फिर उससे अनावश्यक चार्ज लिया गया है तो शिकायत के बाद कार्रवाई की जाती है. शिकायत पर जांच करायी जायेगी.

डॉ विभा सिंह, सिविल सर्जन, पटना

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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