पटना. दीवाली में हैवी पटाखे जलाने पर पटना समेत पूरे प्रदेश में रोक रहेगी. केवल ग्रीन पटाखे को जलाने की ही इजाजत होगी. रात आठ से 10 बजे तक ही लोग पटाखे जला सकेंगे. बिहार प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के सदस्य सचिव एस चंद्रशेखर ने बताया कि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा निर्णय दिया है, जो इस वर्ष भी पूरे प्रदेश में लागू होगा. पटना में भी पटाखे विक्रेता केवल ग्रीन पटाखे ही बेच सकेंगे.
दीवाली के दिन मुख्य शहर में चार स्थायी माॅनीटरिंग सेंटर और दानापुर व पटना सिटी में स्थित एक-एक स्थायी माॅनीटरिंग सेंटर के साथ बोरिंग रोड चौराहा, इको पार्क और एसकेएम समेत शहर के कई अन्य स्थलों पर भी ध्वनि और वायु प्रदूषण की माप होगी. इसके लिए टीमें गठित कर दी गयी हैं. एस चंद्रशेखर ने बताया कि ध्वनि और वायु प्रदूषण दोनों के लिए अलग अलग टीमें बनायी गयी हैं जो ध्वनि की तीव्रता और पर्यावरण प्रदूषण की मात्रा को रिकॉर्ड करने वाले पोर्टेबल उपकरणों से लैस होगी. दीवाली के अगले दिन इसके आंकड़े जारी किये जायेंंगे.
पटना में अवैध पटाखा कारोबार के खिलाफ अभियान चलाने का टास्क डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह ने सभी एसडीओ व एसडीपीओ को दिया है. साथ ही डीएम ने लाइसेंसधारी पटाखा विक्रेताओं व निर्माणकर्ताओं द्वारा पटाखा के संबंध में जारी मानकों का सही ढंग से पालन कराने की भी जिम्मेदारी दी है. साथ ही अवैध रूप से पटाखा निर्माण, भंडारण व बिक्री पर नजर रखने और कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है.
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पटाखों के अवैध निर्माण, बिक्री, भंडारण और परिवहन के संबंध में थाना स्तर से सूचना जुटायी जाये.
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चिह्नित व्यक्तियों व संबंधित प्रतिष्ठानों की जांच के बाद कार्रवाई की जाये.
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पटाखों के निर्माण, बिक्री परिवहन व भंडारण के लिए लाइसेंसधारी व्यक्तियों अथवा प्रतिष्ठानों की जांच की जानी चाहिए.
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पटाखों का निर्माण, भंडारण और बिक्री केंद्र कभी भी घनी आबादी वाले इलाके में नहीं होना चाहिए.
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पटाखों के निर्माण के लिए उपयोग किये जाने रासायनिक पदार्थों की उपलब्धता के स्रोतों का पता लगाकर उस पर रोक लगाने के लिए समुचित कार्रवाई करना है.
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इस तथ्य पर निगरानी रखी जाये कि पटाखों के निर्माण की आड़ में रासायनिक पदार्थों वविस्फोटकों की आपूर्ति असामाजिक तत्वों को न हो.
ग्रीन पटाखा कम क्षमता का पटाखा होता है जिसमें मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले अल्मुनियम, बेरियम, पोटाशियम नाइट्रेट और कार्बन या उनके यौगिक नहीं होते हैं. हवा को प्रदूषित करने वाले और उसमें पीएम 2.5 की मात्रा बढ़ाने वाले राख का भी इसके निर्माण में इस्तेमाल नहीं किया जाता है.