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धार्मिक जुलूसों में लाठी, भाला या तलवार के प्रदर्शन पर रोक, बिहार में लाउडस्पीकर को लेकर आया ये निर्देश

बिहार में निकाले जाने वाले धार्मिक जुलूसों में अब लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की अनुमति नहीं मिलेगी. इसके साथ ही उत्तेजक, भड़काऊ गाना, नारेबाजी और प्रतिबंधित हथियारों के प्रदर्शन पर भी रोक रहेगी. सिर्फ जुलूस के नेतृत्वकर्ता भीड़ नियंत्रण के लिए ध्वनि विस्तारक यंत्र का इस्तेमाल कर सकेंगे.

पटना. राज्य में निकाले जाने वाले धार्मिक जुलूसों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की अनुमति नहीं मिलेगी. इसके साथ ही उत्तेजक, भड़काऊ गाना, नारेबाजी और प्रतिबंधित हथियारों के प्रदर्शन पर भी रोक रहेगी. सिर्फ जुलूस के नेतृत्वकर्ता भीड़ नियंत्रण के लिए शोर के निर्धारित मापदंड का पालन करते हुए ध्वनि विस्तारक यंत्र का इस्तेमाल कर सकेंगे. जिला प्रशासन के अधिकारी इस यंत्र के शोर के स्तर की लगातार निगरानी करते रहेंगे. इसके लिए उनको मोबाइल में एप उपलब्ध कराया जायेगा. गृह विभाग (विशेष शाखा) ने धार्मिक जुलूसों को विनियमित करने और जुलूसों को लाइसेंस दिये जाने को लेकर सभी डीएम-एसपी को नये सिरे से आदेश दिया है. यह कदम के कारण उत्पन्न सांप्रदायिक तनाव के मद्देनजर उठाया गया है.

कृपाण छोड़कर अन्य हथियार का प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे अब

गृह विभाग की विशेष सचिव के सुहिता अनुपम ने सभी डीएम-एसपी को दिये निर्देश में कहा है कि कुछ खास परिस्थिति जैसे सिख समुदाय द्वारा धारित कृपाण को छोड़ कर किसी भी जुलूस या शोभायात्रा में हथियार ले जाना या प्रदर्शित करना आर्म्स एक्ट के तहत प्रतिबंधित है. यदि किसी कारण से तलवार आदि ले जाना आवश्यक हो, तो उसके लिए व्यक्ति को अनुमति लेना आवश्यक होगा. पत्र में कहा गया है कि जुलूस या शोभायात्राओं के दौरान कई लोगों द्वारा समूह में लाठी, भाला, तलवार, आग्नेयास्त्र एवं अन्य हथियारों का उत्तेजक प्रदर्शन किया जाता है. कुछ खास परिस्थिति यथा सिख समुदाय द्वारा धारित कृपाण को छोड़कर किसी भी जुलूस या शोभायात्रा में हथियार ले जाना अथवा प्रदर्शन किया जाना आर्म्स एक्ट के तहत प्रतिबंधित है. यदि किसी कारण से तलवार इत्यादि ले जाना आवश्यक हो तो उसके लिए अलग से प्रत्येक वैसे व्यक्ति जो तलवार इत्यादि धारित करेंगे, को अनुमति लेना आवश्यक होगा.

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10 से 25 लोगों से ली जायेगी अंडरटेकिंग, नाम-पता के साथ देना होगा आधार नंबर

विशेष सचिव के सुहिता अनुपम ने कहा कि जुलूस या शोभायात्राओं में भाग ले रहे 10 से 25 लोगों से अंडरटेकिंग ली जायेगी कि वे जुलूस में विधि-व्यवस्था बनाये रखेंगे. इनका नाम, पता व आधार कार्ड नंबर भी रखा जायेगा. तैनात दंडाधिकारी व पुलिस पदाधिकारी अंडरटेकिंग प्राप्त होने के बाद ही जुलूस शुरू करने की अनुमति देंगे. प्रतिनियुक्त पुलिस पदाधिकारी इसकी सूचना संबंधित थानाप्रभारी को तत्काल देंगे. विशेष सचिव ने कहा कि लाइसेंस में लाइसेंसधारी के पूर्व इतिहास को भी रखा जायेगा. साथ ही सभी जुलूस शोभायात्राओं की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी सुनिश्चित की जायेगी. इसके वीडियो क्लिप व फोटो को कम-से-कम तीन महीने तक सुरक्षित रखा जायेगा.

बिहार पुलिस अधिनियम का दिया गया है हवाला

गृह विभाग की ओऱ से जारी की गई चिट्ठी में कहा गया है कि त्योहार के अवसर पर धार्मिक जुलूस में शामिल लोगों द्वारा लाउडस्पीकर या माइक्रोफोन से काफी ऊंची आवाज में नारे लगाने या डीजे बजाने या परंपरागत हथियारों के प्रदर्शन से सांप्रदायिक तनाव पैदा होता है और इससे कानून-व्यवस्था की गंभीर स्थिति उत्पन्न होती है. चिट्ठी में लिखा गया है कि त्योहारों पर पैदा होने वाले तनाव और अन्य घटनाओं पर नियंत्रण करने की दिशा में धार्मिक जुलूसों को विनियमित करने के लिए बिहार पुलिस अधिनियम 2007 की धारा 66(2) और बिहार पुलिस हस्तक 1978 के नियम 23 में प्रावधन है. पत्र में कहा गया है कि जुलूस या शोभायात्राओं में भाग ले रहे कम से कम 20-25 लोगों से अंडरटेकिंग लिया जाए कि जुलूस में कानून-व्यवस्था बनी रहेगी. उन 20-25 लोगों का नाम, पता और आधार कार्ड का नंबर भी लिया जाए. जुलूस में उत्तेजक, भड़काउ गाने, नारेबाजी और प्रतिबंधित हथियार पूरी तरह से बैन रहेंगे.

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