बिहार में भारत जोड़ो यात्रा में उमड़ रही भीड़ से कांग्रेस के नेता उत्साहित हैं.पार्टी यात्रा के सहारे अपनी पुराने खोये सामाजिक आधार को वापस पाना चाह रही है. साथ अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अधिक- से- अधिक सीटों की संभावना भी तलाश रही है. 1250 किलोमीटर की दूरी में तय होने वाले भारत जोड़ो यात्रा से प्रदेश के 20 जिलों को जोड़ा गया है. इनमें वो जिले भी शामिल हैं, जहां कांग्रेस की मजबूत आधार हुआ करती थी.
जानकार बताते हैं, आजादी के बाद से कांग्रेस के आधार वोट माने जाने वाले अल्पसंख्यक व दलित समुदाय का भरोसा 90 के दशक के बाद क्षेत्रीय दलों ने हासिल कर लिया. नतीजा हुआ कि कांग्रेस के जनाधार खिसकने से उसकी सत्ता तो छिनी ही, उसके पास बिहार में सीटों को लेकर बारगेनिंग की ताकत भी छिन ली गयी. 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस की राष्ट्रव्यापी यात्रा आरंभ हुई है.
प्रदेश अध्यक्ष डाॅ अखिलेश प्रसाद सिंह को बिहार में संगठन ही नहीं, बल्कि परंपरागत वोटरों को जोड़ने की जिम्मेदारी दी गयी है. लोकसभा चुनाव 2024 के 16 माह रह गये हैं. ऐसे में पार्टी की कोशिश है कि समाज को जोड़ने में उन लोगों को अधिक तरजीह दी जाये, जो भाजपा के विरोधी हैं. इसे कांग्रेस भाजपा पर समाज का बांटने वाला और हिंदू-मुस्लिम के बीच बंटवारे का आरोप लगा रही है. साथ ही कांग्रेस दलित समुदाय को जोड़ने पर बल दे रही है.
पार्टी नेताओं का यह भी कहना है कि महागठबंधन में तभी कांग्रेस को तरजीह दी जायेगी जब वह सशक्त होगी. इसका संकेत पार्टी के शीर्ष नेतृत्व मल्लिकार्जुन खरगे ने मंदार हिल्स की रैली के संबोधन में दे दिया है. साथ ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने भी महागठबंधन में दो और मंत्रियों को शामिल करने की मांग रख दी है. इस तरह से पार्टी सत्ता और संगठन दोनों को साधने में लगी है.