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पटना, मुजफ्फरपुर व गया शहर के पीएम 2.5 की रासायनिक जांच करवाने के लिए मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी में भेजा गया है इसका नमूना
बिहार की हवा अन्य राज्यों की तुलना में कम खतरनाक है. इसकी बड़ी वजह यह है कि यहां के पीएम 2.5 में उद्योगों से निकलने वाले रासायनिक तत्व बहुत कम मात्रा में पाया जाना है. इससे फेफड़ों तक पहुंचने वाले यह कण कम विषाक्त हैं. हालांकि रासायनिक तत्वों की मौजूदगी की जानकारी के लिए बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने पटना, मुजफ्फरपुर और गया के पीएम 2.5 की जांच का निर्णय लिया है. इन शहरों के पीएम 2.5 की रासायनिक जांच करवाने के लिए पर्षद ने इसका नमूना मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी में भेजा है. इसकी रिपोर्ट दो सप्ताह में आयेगी. अन्य राज्यों और देशों के पीएम 2.5 की जांच का विश्व बैंक से अनुरोध किया गया है.
विश्व बैंक के तकनीकी सहयोग से राज्य सरकार एक राज्य स्तरीय वायु कार्य योजना विकसित कर रही है. इसका नाम ‘बिहार स्वच्छ वायु कार्य योजना’ रखा गया है. इस पर पिछले दिनों विश्व बैंक की टीम ने भी बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अधिकारियों से पटना में चर्चा की थी. इस दौरान विश्व बैंक की टीम भी इस बात से सहमत थी कि राज्य का पीएम 2.5 अन्य राज्यों की तुलना में कम विषाक्त है.
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बिहार का पीएम 2.5 अन्य राज्यों की तुलना में कम विषाक्त है. पहली बार पीएम 2.5 की रासायनिक जांच के लिए पटना, मुजफ्फरपुर और गया का नमूना मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी भेजा गया है. साथ ही विश्व बैंक से अन्य राज्यों सहित अन्य देशों के पीएम 2.5 में मौजूद रासायनिक तत्वों की जांच करवाने का अनुरोध किया गया है. – डॉ अशोक घोष, अध्यक्ष, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद
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