Election Commission पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों का कहना है कि चुनाव आयोग (ईसी) के पास चुनाव प्रचार अभियान के दौरान कोविड-19 के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने पर रैलियों पर रोक लगाने और चुनाव रद्द करने जैसे कड़े कदम उठाने के अभिष्ट अधिकार तो हैं, लेकिन उनका अनुसरण सुनिश्चित कराना एक कठिन कार्य है. बिहार विधानसभा चुनाव और अन्य राज्यों में उपचुनावों के लिए प्रचार अभियान चल रहा है और चुनाव आयोग पहले ही राजनीतिक दलों को आगाह कर चुका है कि उल्लंघनों को लेकर जिलाधिकारी द्वारा दंडात्मक प्रावधानों का इस्तेमाल किया जा सकता है.
वैसे तो ज्यादातर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का क्रियान्वयन उम्मीदवारों, दलों और मतदाताओं की संख्या के लिहाज से आसान नहीं है, लेकिन उनमें से दो का कहना है कि चुनाव आयोग कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव स्थगित कर तथा रैलियों पर रोक लगाने जैसे ‘प्रदर्शन करने वाले कदम’ उठा सकता है और यह बता सकता है कि उसके लिए नियम मायने रखते हैं.
चुनाव आयोग ने प्रचार अभियान के दौरान एक दूसरे के बीच दूरी बनाकर रखने के नियमों के ‘खुला उल्लंघन’ तथा उसके दिशानिर्देशों के प्रति पूर्ण असम्मान दिखाते हुए नेताओं द्वारा बिना मास्क के जनसभाओं को संबोधित करने को गंभीरता से लिया है. मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों एवं क्षेत्रीय दलों के अध्यक्षों एवं महासचिवों को बुधवार को जारी किये गये परामर्श में आयोग ने कहा था कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी एवं जिला मशीनरी से ऐसे उल्लंघनों के सिलसिले में संबंधित उम्मीदवारों एवं जिम्मेदार आयोजकों के खिलाफ उपयुक्त एवं प्रासंगिक कानूनी प्रावधानों के इस्तेमाल की आशा की जायेगी.
जब यह सवाल पूछा गया कि कैसे चुनाव आयोग दिशानिर्देशों को लागू करायेगा तब एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आयोग के पास क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए सारे साधन हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हमें उल्लंघन की जितनी ही अधिक रिपोर्ट मिलेंगी, उतनी ही अधिक कार्रवाई की जाएगी.” हालांकि, उन्होंने इसका ब्योरा नहीं दिया.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त वी एस संपत ने कहा कि यदि किसी एक दल या उम्मीदवार द्वारा उल्लंघन किया जाता है तो कार्रवाई की जा सकती है. उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ लेकिन यदि यह सभी का उल्लंघन है, आप चुनाव स्थगित नहीं कर सकते. जब आप ऐसी स्थिति में चुनाव आदेश दे रहे हैं तो आपको इस तरह के प्रभाव का अनुमान लगाना चाहिए.” लेकिन, इसी के साथ संपत ने यह भी कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि ईसी चीजों को यूं ही रहने दे, आखिरकार यह जनस्वास्थ्य का विषय है.
2012 से 2015 तक मुख्य चुनाव आयुक्त रहे संपत ने कहा, ‘‘ ऐसा कोई तरीका नहीं है कि आप इसे शत प्रतिशत लागू कर सकते हैं, लेकिन उसे (ईसी) को यथासंभव प्रयास करना होगा. उसे संतुलन बनाना होगा, जो वह शायद कर रह है.” बिहार में 28 अक्टूबर, तीन नवंबर और सात नवंबर को तीन चरणों में विधानसभा चुनाव है. ज्यादातर विधानसभा उपचुनाव तीन नवंबर को है.
बिहार में वाल्मिकी नगर लोकसभा और मणिपुर के कुछ विधानसभा क्षेत्रों में सात नवंबर को उपचुनाव होंगे. अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर एक अन्य मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि दिखावे के लिए चुनाव आयोग एक या दो निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव रद्द करने के लिए रोजाना आधार पर उल्लंघनों का संज्ञान लेकर मामला बना सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘ 28 अक्टूबर के स्थान पर तीन नवंबर को चुनाव कराये जा सकते हैं. लेकिन, इससे एक संदेश जाएगा कि उल्लंघनों को हल्के में नहीं लिया जाता है.”
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वालों को आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक या दो साल की कैद की सजा दी जा सकती है. जनवरी-दिसंबर 2018 तक आयोग की अगुवाई कर चुके रावत ने कहा, ‘‘लेकिन मुद्दा यह है कि यदि हजारों लोग उल्लंघन करते हैं तो आप कितनी कार्रवाई कर सकते हैं. क्रियान्वयन समस्या हैं.”
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने कहा कि विभिन्न देशों के अनुभव पर आधारित आयोग के दिशानिर्देश ‘बहुत अच्छे’ हैं. उन्होंने कहा, ‘‘यह क्रियान्वयन का प्रश्न है. मैं खुश हूं कि आयोग इसपर भारी कार्रवाई कर रहा है.” उन्होंने कहा, ‘‘ यदि कोई उल्लंघन होता है तो ईसी उन रैलियों पर रोक लगा सकता है क्योंकि नियम तो सभी दलों पर लागू होते हैं. सभी के लिए समान मौके हैं.”
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