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Bihar Assembly Election 2020 : राजद में बिखराव, महागठबंधन में टेंशन, कम होंगी लालू परिवार की मुश्किलें!

Bihar Assembly Election 2020, पटना : इसी साल अक्तूबर-नवंबर माह में होनेवाले बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) कई मोर्चों पर घिरता दिख रहा है. बिहार की राजनीति के माहिर खिलाड़ी और सूबे के सबसे बड़े सियासी परिवार के मुखिया लालू प्रसाद यादव इन दिनों बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में झारखंड की रांची स्थित जेल में बंद हैं. वह मधुमेह और दिल की बीमारी से ग्रसित हैं. इसके अलावा उनकी किडनी भी ठीक से काम नहीं कर रही है. ऐसे में राजद कुनबे को मिल रहे लगातार झटकों के बीच महागठबंधन में शामिल प्रमुख घटक दलों हिंदुस्तान आवाम मोरचा (हम) के मुखिया जीतन राम मांझी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की ओर से अपनी-अपनी मांगों को लेकर बनाये जा रहे दबाव से गठबंधन को संभाल कर रखना भी लालू परिवार के लिए बड़ी चुनौती बन गयी है. आइये हाल के दिनों में घटित हुए उन सियासी हलचलों पर विस्तार से एक नजर डालते है, जिससे लालू परिवार संकट में घिर गया है.

Bihar Assembly Election 2020, पटना : इसी साल अक्तूबर-नवंबर माह में होनेवाले बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) कई मोर्चों पर घिरता दिख रहा है. बिहार की राजनीति के माहिर खिलाड़ी और सूबे के सबसे बड़े सियासी परिवार के मुखिया लालू प्रसाद यादव इन दिनों बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में झारखंड की रांची स्थित जेल में बंद हैं. वह मधुमेह और दिल की बीमारी से ग्रसित हैं. इसके अलावा उनकी किडनी भी ठीक से काम नहीं कर रही है. ऐसे में राजद कुनबे को मिल रहे लगातार झटकों के बीच महागठबंधन में शामिल प्रमुख घटक दलों हिंदुस्तान आवाम मोरचा (हम) के मुखिया जीतन राम मांझी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की ओर से अपनी-अपनी मांगों को लेकर बनाये जा रहे दबाव से गठबंधन को संभाल कर रखना भी लालू परिवार के लिए बड़ी चुनौती बन गयी है. आइये हाल के दिनों में घटित हुए उन सियासी हलचलों पर विस्तार से एक नजर डालते है, जिससे लालू परिवार संकट में घिर गया है.

राजद में जारी है इस्तीफे का सिलसिला

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश राजद को छोड़नेवाले नेताओं की फेहरिस्त में एक और नाम जुड़ गया है. राजद के झंडे तले दो बार विधायक रहे विजेंद्र यादव ने शनिवार को पार्टी छोड़ दी. पूर्व एमएलए विजेंद्र यादव राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे थे. वे राजद के क्षेत्रीय कद्दावरों में एक थे. वहीं, इससे पहले राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के बेहद करीबी व पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं. जबकि, बीते दिनों में राजद के पांच पार्षदों ने भी पार्टी का दामन छोड़ कर जदयू का दामन थाम लिया है. हाल में घटित इन तीनों घटनाओं से राजद कुनबे की परेशानी और बढ़ गयी है.

भोजपुर में किंगमेकर के तौर पर भूमिका निभानेवाले विजयेंद्र यादव पार्टी में उपेक्षा से थे नाराज

भोजपुर में किंगमेकर के तौर पर भूमिका निभानेवाले पूर्व एमएलए विजेंद्र यादव ने कहा है कि राजद में इन दिनों पुराने लोगों को सम्मान नहीं मिल रहा है. रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे कद्दावर नेताओं को अपमानित किया जा रहा है, तो दूसरों की क्या बिसात है. तीस सालों से राजद में रहे विजेंद्र यादव संदेश विधायक अरुण यादव के बड़े भाई हैं. 2000 से 2010 तक वे लगातार विधायक रहे. बताया कि उन्हें नाम के लिए प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन पार्टी ने उन्हें संगठन में व्यावहारिक धरातल पर कोई तवज्जो नहीं दी. कहा कि जो भी पार्टी उन्हें सम्मान देगी, वहां जायेंगे. उन्होंने बताया कि मेरे भाई राजद के विधायक हैं, तो हैं. भाई होना राजनीति से अलग बात है.

रघुवंश बाबू का इस्तीफा, लालू परिवार की बढ़ी बेचैनी

पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह के पार्टी उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने के बाद से लालू परिवार के भीतर मंथन तेज हो गया है. चर्चा गरम है कि 74 वर्षीय रघुवंश प्रसाद सिंह की नाराजगी के पीछे की सबसे बड़ी वजह लोजपा के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता राम किशोर सिंह उर्फ रामा सिंह को राजद में शामिल होने संबंधी खबर बतायी जा रही है. किसी जमाने में लालू प्रसाद और रघुवंश प्रसाद सिंह के कट्टर विरोधी रहे रामा सिंह के राजद में शामिल किये जाने की खबरों से पार्टी के भीतर कई नेता नाराज बताये जा रहे हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में वैशाली सीट से रघुवंश प्रसाद को रामा सिंह ने करीब एक लाख से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी थी.

रघुवंश प्रसाद के एम्स से बाहर आने का इंतजार

बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह ने कोरोना से जंग जीत ली है. अस्पताल सूत्रों एवं उनके करीबी लोगों के मुताबिक, हालांकि अभी वे उतने तरोताजा नहीं दिखे. डॉ सिंह ने बेहद नजदीकी लोगों से कहा, मुझे आभास हो रहा है कि भगवान ने कुछ काम करने के लिए बचा लिया. वह काम मुझे अब पूरा करना है. वहीं, कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी ने रघुवंश प्रसाद सिंह को चिट्ठी भेज कर उनके बेहतर स्वास्थ्य की कामना की है. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी डॉ रघुवंश सिह से दूरभाष पर उनके स्वास्थ्य का हालचाल पूछा था. बुधवार को उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिलने की संभावना है.

रघुवंश बाबू को मनाने के लिए एक्टिव हुए लालू, लेकिन…

चर्चा तेज है कि पार्टी में नाराज चल रहे रघुवंश प्रसाद सिंह को मनाने के लिए लालू प्रसाद ने रांची जेल से ही पहल की है. इसी कड़ी में बीते दिनों लालू प्रसाद ने रघुवंश बाबू से फोन पर बात कर उन्हें मनाने की कोशिश भी की है. हालांकि, बताया जा रहा है कि रामा सिंह की शर्त पर रघुवंश प्रसाद मानने के लिए तैयार नहीं हैं. वहीं, रामा को लेकर लालू परिवार भी मजबूर दिख रहा है. सूत्रों की मानें तो तेजस्वी यादव अपनी जिद पर अड़े हैं. उन्हें राघोपुर क्षेत्र में रामा सिंह की जमात की अच्छी पकड़ बतायी जाती है. राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद और रामा सिंह के भरोसे तेजस्वी को इस बार चुनाव में अभी से अपनी जीत दिखाई दे रही है, इसलिए उनकी नजर में रघुवंश सिंह पर रामा सिंह भारी पड़ रहे हैं.

राजद छोड़ जदयू में शामिल हुए 5 एमएलसी ने तेजस्वी पर लगाया बड़ा आरोप

उल्लेखनीय है कि पिछले एक हफ्ते में आरजेडी के पांच विधान पार्षदों ने पाला बदल लिया. यह सभी लोग पार्टी के वर्तमान नेतृत्व से नाराज होकर जदयू में शामिल हुए हैं. इन लोगों में संजय प्रसाद, कमरे आलम, राधाचरण सेठ, रणविजय सिंह और दिलीप राय शामिल हैं. इन्होंने राजद से इस्तीफा देकर जदयू की सदस्यता ली है. पार्टी छोड़नेवाले इन नेताओं ने अपने इस कदम के पीछे तेजस्वी यादव को वजह बताया. इन सभी का कहना है कि वे आरजेडी की मौजूदा वंशवाद की राजनीति और तेजस्वी यादव के नेतृत्व से असंतुष्ट थे.

राबड़ी देवी की बढ़ी मुश्किलें

राजद के इन पांच एमएलसी के पार्टी से इस्तीफा देकर जदयू में शामिल होने के बाद अब विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी को अपना यह पद बचा पाना मुश्किल हो गया है. 75 सदस्यों वाली बिहार विधान परिषद में पांच विधान पार्षदों के इस्तीफे से पहले राजद की संख्या आठ थी, जो अब घट कर तीन हो गयी है. ऐसे में माना जा रहा है कि पूर्व सीए राबड़ी देवी के लिए नेता प्रतिपक्ष का पद बचाना काफी मुश्किल है.

महागठबंधन में खींचतान, मांझी दे सकते हैं झटका!

महागठबंधन में शामिल प्रमुख घटक दल हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सीएम जीतनराम मांझी के हालिया बयानों ने राजद की परेशानी को बढ़ा दिया है. सियासी गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा तेज है कि मांझी महागठबंधन छोड़ कर जदयू में दोबारा शामिल हो सकते हैं. हालांकि, बताया जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव के पहले जीतनराम मांझी महागठबंधन का हिस्सा बने रहें या फिर पाला बदल कर एनडीए में शामिल होंगे, इसको लेकर वे किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचे है. लेकिन, राजद की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने को लेकर जीतन राम मांझी नाराज चल रहे हैं. मालूम हो कि जीतनराम मांझी ने एक बार फिर महागठबंधन में समन्वय समिति बनाने को लेकर अल्टीमेटम दिया है.

मांझी की नाराजगी की वजह…

चर्चा है कि राजद नेता तेजस्वी यादव की मुख्यमंत्री उम्मीदवारी को लेकर जीतनराम मांझी को ऐतराज है. वहीं, पिछले कुछ दिनों में कई बार महागठबंधन की समन्वय समिति बनाने की भी मांग करते रहे जीतनराम मांझी चाहते है कि बिहार चुनाव में सीट शेयरिंग से लेकर मुख्यमंत्री उम्मीदवार तक के मुद्दों पर गठबंधन में चर्चा की जानी चाहिए. इसी कड़ी में मांझी ने दो दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल से दिल्ली में मुलाकात की थी. इस दौरान भी उन्होंने महागठबंधन की समन्वय समिति बनाने का मुद्दा उठाया था.

कुशवाहा ने भी बढ़ायी राजद की परेशानी

हम के प्रमुख जीतन राम मांझी के साथ ही रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा के हाल में दिये गये बयान से महागठबंधन में सब कुछ ठीक होने के दावों की पोल खुलने लगी है. उपेंद्र कुशवाहा ने बीते दिनों कहा था कि खुद को महागठबंधन दल का नेता घोषित कर देने से कोई महागठबंधन का नेता नहीं बन जायेगा. इसे लेकर गठबंधन के सभी घटक दलों की वार्ता होगी, जिसके बाद ही इस पर कोई निर्णय लिया जायेगा.

तेजस्वी को लेकर कुशवाहा ने कही ये बड़ी बात

तेजस्वी यादव को महागठबंधन का नेता चुने जाने के संबंध में पूछे गये सवाल के जवाब में उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि किसी सार्वजनिक मंच से खड़े होकर खुद को महागठबंधन दल का नेता घोषित कर देने से कोई नेता नहीं बन जाता. रालोसपा प्रमुख ने कहा कि इसे लेकर आनेवाले समय में सभी घटक दलों की बैठक होगी, जिसके बाद सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चा की जायेगी और उसी बैठक में नेता का भी चयन किया जायेगा.

लालू की गैरमौजूदगी में तेजस्वी-तेज प्रताप के सामने चुनौतियां

बता दें कि चारा घोटाले मामले में सजायाफ्ता राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव फिलहाल रांची के रिम्स में भर्ती हैं. इन सबके बीच कई बीमारियों से ग्रसित लालू प्रसाद यादव का सोशल मीडिया अकाउंट एक्टिव रहता है. जिसके माध्यम से वे बिहार सरकार और भाजपा-जदयू गठबंधन के खिलाफ हमला बोलते रहते हैं. वहीं, उनकी गैरमौजूदगी में तेजस्वी यादव को घरेलू और बाहरी स्तर पर कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. तेज प्रताप के तलाक मामले के बीच पार्टी में टिकट को लेकर जारी गुटबंदी ने राजद कुनबे की परेशानी को बढ़ा दिया है. अब देखनेवाली बात यह होगी कि बिहार चुनाव से पहले लालू प्रसाद के दोनों लाल तेजस्वी और तेज प्रताप अपनी बहन मीसा भारती और माता राबड़ी देवी के साथ मिलकर किसी तरह पार्टी के सामने खड़ी वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का समाधान निकाल पाने में सफल होते हैं.

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