पटना : कोरोना महामारी से बचाव को लेकर देश में लगाये गये लॉकडाउन के बावजूद बेहतर समन्वय, रिजल्ट प्रोसेसिंग में नये सॉफ्टवेयर का प्रयोग और मार्गदर्शन के परिणामस्वरूप बिहार बोर्ड ने देश में सबसे पहले मैट्रिक का रिजल्ट जारी किया. पहली बार विद्यार्थियों के फोटो सहित मैट्रिक में बारकोड एवं लिथोकोड के साथ Pre-Printed कॉपी एवं Pre-Printed ओएमआर शीट की व्यवस्था की गयी थी. पिछले साल के अनुसार इस साल भी प्रयुक्त किये गये कई प्रकार के कंप्यूटराइज्ड फॉरमेट का डिजाइन तैयार किया गया.
साल 2020 में मैट्रिक के सभी विषयों के प्रश्न पत्र 10 सेट में तैयार कराये गये. इस साल पहली बार मैट्रिक परीक्षा में सभी विषयों में 50 फीसदी वस्तुनिष्ठ प्रश्नों में 20 फीसदी अतिरिक्त प्रश्नों का विकल्प दिया गया. लगातार दूसरे वर्ष टॉपरों को बंपर अंक मिले. लगातार दूसरे वर्ष देश में सबसे पहले बिहार बोर्ड ने इंटर एवं मैट्रिक का रिजल्ट जारी किया.
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर ने वर्ष 2017 में इस लक्ष्य की घोषणा की थी कि दो वर्ष में बिहार बोर्ड को देश का सर्वश्रेष्ठ बोर्ड बनाना है. साथ ही यह भी लक्ष्य रखा गया था कि आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग करते हुए ना सिर्फ अग्रणी तकनीक में बिहार बोर्ड को देश का सर्वश्रेष्ठ बोर्ड बनाया जाये, बल्कि संपूर्ण परीक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार करते हुए परीक्षा व्यवस्था के मामले में भी बिहार बोर्ड को देश का सर्वश्रेष्ठ बोर्ड बनाया जाये. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा लगातार कई महत्वपूर्ण कार्य किये गये. कई प्रकार की आधुनिक तकनीक को लागू करते हुए पूरी परीक्षा व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण तकनीकी बदलाव किये गये. कई प्रकार के परीक्षा सुधार किये गये.
बिहार बोर्ड के चेयरमैन आनंद किशोर खुद आईआईटी के टॉपर्स में रहे हैं. उनके नेतृत्व में सभी उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए बनाये गये कुल 169 मूल्यांकन केंद्रों पर लगातार दूसरे वर्ष भी 6-6 कंप्यूटरों की व्यवस्था की गयी. मैट्रिक परीक्षा में बारकोड कॉपियों के अंकों की प्रविष्टि सीधे मूल्यांकन केंद्रों से सीधे कंप्यूटर के माध्यम से की गयी. इसलिए रिजल्ट प्रोसेसिंग काफी त्वरित गति से किया गया. बारकोडिंग केंद्रों पर कंप्यूटर के माध्यम से सभी उत्तरपुस्तिकाओं के बैग की कंप्यूटराइज्ड इंट्री करायी गयी. इसके लिए बिहार बोर्ड की आईटी टीम द्वारा सॉफ्टवेयर विकसित किया गया था.
इतना ही नहीं पूर्व के वर्षों की भांति मैट्रिक में इस वर्ष भी सभी विषयों के शॉर्ट प्रश्नों में 75% अतिरिक्त विकल्प दिये गये थे. दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों में 100% अतिरिक्त विकल्प दिये गये थे. इसके अलावा विद्यार्थियों को स्टेपवाइज मार्किंग देने का निर्देश दिया गया था, ताकि विद्यार्थी द्वारा दिये गये उत्तर यदि आंशिक रूप से सही है, तो उसे उस प्रश्न में आंशिक अंक की प्राप्ति हो सके. इस कारण ही विद्यार्थियों की उत्तीर्णता का प्रतिशत बेहतर रहा.
सूबे के प्रत्येक जिले में चार मॉडल केंद्रों की स्थापना की गयी थी. प्रत्येक मॉडल केंद्र पर महिला शिक्षकों, महिला दंडाधिकारियों, महिला कर्मियों इत्यादि की प्रतिनियुक्ति की गयी. नयी एवं आधुनिक तकनीकों को लागू करने के साथ ही आधुनिक तकनीक एवं परीक्षा प्रणाली के मामले में बिहार बोर्ड ने देश के सर्वश्रेष्ठ बोर्ड के रूप में परीक्षा प्रणाली में उपर्युक्त अंकित सभी सुधारों एवं आधुनिक तकनीक के आधार पर मैट्रिक का रिजल्ट कोरोना महामारी से बचाव के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान ही देश में सबसे पहले प्रकाशित किया है.