प्रह्लाद कुमार, पटना : विधानसभा चुनाव का प्रथम चरण खत्म होने के बाद सभी पार्टियां दूसरे चरण के चुनाव प्रचार में जुट गयी हैं . पटना जिले के फुलवारीशरीफ विधानसभा क्षेत्र में चुनावी हलचल तेज हो गयी है. इस सीट पर जदयू के टिकट पर अरुण मांझी व महागठबंधन समर्थित माले प्रत्याशी गोपाल रविदास में सीधी टक्कर है.
महागठबंधन व एनडीए दोनों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है. माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य डोर- टू- डोर प्रचार कर रहे हैं. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फुलवारीशरीफ के लखना में खुद चुनावी सभा की है. इस सीट से कुल 26 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं.
2015 में श्याम रजक हम (सेक्यूलर) के राजेश्वर मांझी को 45,713 मतों से हराकर यहां से छठी बार विधायक बने थे. 2010 में विधानसभा चुनाव में श्याम रजक ही जीते थे, लेकिन इस बार उन्हें टिकट नहीं मिला है.
इस सीट पर कभी जदयू, तो कभी राजद के टिकट पर श्याम रजक जीतते रहे हैं, लेकिन इस बार चुनाव में श्याम रजक नहीं है. ऐसे में उनके वोटर किस करवट बैठेंगे, यह कहना अभी मुश्किल है.
माले प्रत्याशी के समर्थन में 31 अक्तूबर को माले महासचिव दीपंकर की चुनावी सभा है.वहीं, माले ने एक नवंबर से पहले तेजस्वी यादव की सभा कराने के लिए भी समय मांगा है. अभी तक यह संभावना है कि तेजस्वी एक नवंबर को माले के प्रत्याशी के पक्ष में सभा करेंगे और वोट मांगेंगे.
एनडीए और महागठबंधन की सोशल मीडिया टीम ने चुनावी प्रचार का कमान संभाल लिया है. माले की युवा टीम, जो पालीगंज में काम कर रही थी. वह टीम गुरुवार को फुलवारीशरीफ पहुंच गयी है. यह टीम वहां के वोटरों से सोशल मीडिया के माध्यम से कनेक्ट होगी.
इस सीट पर रविदास, पासवान, यादव और मुस्लिम वोटरों की संख्या अधिक है. अब तक 2000 में सबसे अधिक मतदान 63.32 प्रतिशत हुआ है. पिछली बार के चुनाव को देखा जाये, तो जदयू-राजद साथ-साथ चुनाव मैदान में था.
इसके कारण कई वर्गों का वोट सीधे राजद-जदयू के उम्मीदवार को गया, लेकिन इस चुनाव में जदयू-भाजपा का गठबंधन है. वहीं, महागठबंधन में माले आया है. ऐसे में यहां का चुनाव दिलचस्प होगा.
Posted by Ashish Jha