19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Bihar Chunav Result: पहली बार चुनाव परिणाम में इतना उतार-चढ़ाव, 30 साल बाद हुआ ऐसा मुक़ाबला

Bihar Chunav Result : किसी को आभास नहीं था कि विधानसभा का चुनाव परिणाम इतना उतार-चढ़ाव भरा होगा.

Bihar Chunav Result : किसी को आभास नहीं था कि विधानसभा का चुनाव परिणाम इतना उतार-चढ़ाव भरा होगा. सुबह से लेकर देर शाम तक सस्पेंस बना रहा कि अंतिम नतीजे क्या होंगे? एग्जिट पोल के अनुमानों को बिहार के लोगों ने पीछे धकेल दिया.

1990 के बाद हुआ ऐसा मुकाबला 

1990 के बाद से विधानसभा के अब तक सात चुनाव हुए. पर किसी भी चुनाव में नतीजे को लेकर इतना कौतुहल, उतार-चढ़ाव शायद किसी में नहीं हुआ था. 1990 में पहली बार लालू प्रसाद रामो-वामो की ओर से मुख्यमंत्री बने थे. 1995 के चुनाव में राजनीतिक समीकरण बदला था. नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद से अलग होकर समता पार्टी बनायी थी. भाजपा का तीसरा कोण था. उस वक्त भी लालू प्रसाद के सत्ता में पुनर्वापसी को काफी कठिन माना जा रहा था. लेकिन, चुनाव परिणाम पूरी तरह एकतरफा था. एकीकृत बिहार की 234 सीटों पर हुए चुनाव में लालू प्रसाद पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लौटे थे. यही वह चुनाव था, जब अति पिछड़ी जातियों के लिए ‘जिन्न’ शब्द का इस्तेमाल हुआ था.

Also Read: Bihar Election Result : कहां धोखा खा गए तेजस्वी यादव? सीएम बनते बनते कैसे चूक गए… क्या कांग्रेस से नहीं मिला साथ

झारखंड अलग होने के बाद वर्ष 2000 में विधानसभा के चुनाव हुए. सत्ता संघर्ष में मुख्यमंत्री पद पर नीतीश कुमार ने शपथ ली. लेकिन, बहुमत हासिल नहीं हो पाने के चलते उन्होंने इस्तीफा दे दिया और राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं. 2005 के फरवरी में विधानसभा के चुनाव हुए और किसी भी राजनीतिक दल को बहुमत हासिल नहीं हुआ था. दोबारा उसी साल अक्तूबर में चुनाव हुए और नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी. उसके बाद के चुनाव मोटे तौर पर एकतरफा नतीजों वाले रहे.

2010 में एनडीए की आंधी चली. इस गठबंधन को 200 से अधिक सीटें मिलीं. चुनाव के पहले से ही लग रहा था कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार लौटेगी. यह अंदाजा चुनावी नतीजे में भी परिणत हो गया था. उसके बाद 2015 के चुनाव में राजनीतिक समीकरण बदले हुए थे. लंबे समय के बाद नीतीश कुमार और लालू प्रसाद ने मिलकर चुनाव लड़ा और सरकार बनायी. उस चुनाव में भी परिणाम को लेकर इतनी ऊहापोह की स्थिति नहीं थी.

इस बार का चुनाव नतीजों के लिहाज से बेहद उलझाऊ रहा. चुनाव के पहले माना जा रहा था कि एनडीए के लिए मैदान मारना आसान होगा. लेकिन चुनाव प्रक्रिया के दौरान तेजस्वी यादव विपक्ष का चेहरा बने. उनकी सभाओं की भीड़ देख ऐसा लगा कि एनडीए को वह चुनौती दे रहे हैं. एग्जिट पोल ने भी बताया कि मुकाबला कांटे का होने जा रहा है. हालांकि, कुछ पोल्स में महागठबंधन को ज्यादा सीटें दी जा रही थीं. लेकिन वोटों की गिनती के दौरान कई बार उलटफेर होता रहा.

Posted by : Rajat Kumar

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें