Bihar Election 2020, Date, Candidates List, Cast Equation : बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने भले ही चुनाव घोषणापत्र और भाषणों में विकास की बात की हो, लेकिन मैदान-ए-जंग में जातिगत याेद्धाओं को ही उतारने की हर संभव कोशिश की है. सभी दलों ने इसका खासतौर से ध्यान रखा है. सामाजिक गणित बैठाते हुए जातिगत खेमेबंदी की है, ताकि उनकी जीत के लिए यह बेहद अहम आधार बन सके.
इस क्रम में भाजपा, जदयू समेत एनडीए के सभी घटक दलों ने मिल कर 74 सवर्णों को टिकट दिया है, जो करीब 30% है, जबकि शेष 169 यानी करीब 70% टिकट पिछड़ा, अति पिछड़ा व एससी-एसटी को दिये हैं. इनमें करीब 35 अति पिछड़े व 27 एसी-एसटी हैं. वहीं, महागठबंधन में राजद, कांग्रेस और वामदलों ने मिल कर 49 सवर्ण उम्मीदवार उतारे हैं, जो 20% हैं, जबकि शेष 80% टिकट पिछड़ा, अति पिछड़ा व एससी-एसटी को दिये हैं.
एनडीए में भाजपा ने तीनों चरणों में अपने कोटे की 110 सीटों में 50 पर अगड़ी जाति को टिकट दिया है, जो करीब 45 प्रतिशत है, जबकि जदयू ने अपने कोटे की 115 सीटों में 19 और हम ने सात में एक सवर्ण को टिकट दिया है. भाजपा ने पहले चरण की 29 सीटों में 18, दूसरे चरण की 46 सीटों में 22 और तीसरे चरण में 35 सीटों में 10 पर सवर्ण उम्मीदवारों को टिकट दिया है. इस तरह से भाजपा ने इस बार के टिकट बंटवारे में अपने कोर वोटरों अगड़ी जातियों को खुश करने के साथ ही सभी पिछड़ी और दलित जातियों के भी साधने की पूरजोर कोशिश की है.
वहीं, जदयू ने अपने कोटे के 115 सीटों में से 19 पर सवर्ण और 26 पर अति पिछड़े को उम्मीदवार बनाया है, जबकि 11 मुस्लिमों को टिकट दिया है. एनडीए में एकमात्र जदयू ने जिसने मुस्लिमों को टिकट दिया है. इस तरह अगर पूरे एनडीए की बात करें, तो उसने अगड़ी जातियों पर ज्यादा भरोसा जताया है. साथ ही सबसे बड़े वोटबैंक पिछड़े और अति पिछड़े के वोट बैंक में भी सेंध लगाने की पूरी कोशिश की गयी है.
महागठबंधन के सबसे बड़े घटक दल राजद ने सबसे अधिक 58 यादव उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. दूसरी बड़ी संख्या अति पिछड़ों की है, जिन्हें 23 सीटें दी गयी हैं, जिनमें नोनिया जाति के चार, धानुक चार, मल्लाह के तीन, चौरसिया के दो, चंद्रवंशी, ततमा, व लोहार जाति से एक-एक और अन्य अति पिछड़ी जातियों से पांच प्रत्याशी बनाये गये हैं. इसके अलावा राइन जाति से पहली बार उम्मीदवार बनाया गया है.
राजद में तीसरी बड़ी संख्या अल्पसंख्यकों की हैं, जिन्हें 18 सीटें दी गयी हैं. राजद ने अपने कोटे की 144 सीटों में 13 पर सवर्ण को टिकट दिया है, जिनमें आठ राजपूत, चार ब्राह्मण व एक भूमिहार हैं. पिछली दफा एकमात्र ब्राह्मण राहुल तिवारी राजद से उम्मीदवार थे. महागठबंधन की दूसरी बड़ी पार्टी कांग्रेस ने अपने कोटे की 70 सीटों में 31 अगड़ी जाति को टिकट दिया है, जबकि वाम दलों को मिली 29 सीटों में चार अगड़ी जाति के प्रत्याशी बनाये हैं.
कांग्रेस कोटे की 70 सीटों में 32 अगड़ी जाति के उम्मीदवार बनााये गये हैं. इनमें सबसे अधिक भूमिहार 11, राजपूत जाति के नौ, ब्राह्मण आठ और चार कायस्थ उम्मीदवार हैं. यादव बिरादरी के पांच उम्मीदवार हैं. मुसलमान उम्मीदवारों की संख्या 12 और 10 सीटों पर दलित प्रत्याशी हैं. वैश्य व कुर्मी से दो और कुशवाहा से एक प्रत्याशी बनाये गये हैं.
महिला प्रत्याशियों की बात करें, तो जदयू ने सबसे ज्यादा 22 महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारा है. इसके बाद राजद ने 15 और भाजपा ने 13 महिलाओं को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने पांच, हम अौर वीआइपी ने एक-एक महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है. इस तरह एनडीए ने इस बार के विधानसभाओं में 37 महिलाओं को टिकट दिया है, जबकि महागठबंधन के सभी घटक दलों ने करीब 19 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. इस तरह से एनडीए ने सबसे ज्यादा महिला और सवर्ण उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है.
Posted by Ashish Jha