शुभम कुमार,पटना: कोरोना से हर दिन सैंकड़ों परिवार उजड रहे हैं. राज्य सरकार ने इलाज की सुविधाएं बढ़ाने के साथ ही मुफ्त में अंतिम संस्कार की व्यवस्था भी की है़ लेकिन, धंधेबाज इस आपदा में भी जिंदगी से मोक्ष तक का सौदा करने से बाज नहीं आ रहे हैं. ऑक्सीजन की जरूरत है, तो प्लांट के बाहर कई सारे दलाल खड़े हैं, जो पैसा लेंगे और एक साथ कई लोग सिलिंडर लेकर लाइन में लग जायेंगे और ऑक्सीजन रिफिलिंग करा दे देंगे. वहीं, अंतिम संस्कार के लिए बांसघाट पर दलालों ने रेट तय कर दिया है. यहां तक कि पैकेज बना रखा है. इस खेल का पर्दाफाश करने के लिए प्रभात खबर के संवाददाता ने शुक्रवार को बांसघाट पर स्टिंग ऑपरेशन किया. दलालों के समूह में एंबुलेंस चालक से लेकर अंदर और बाहर के कई दुकानदार भी शामिल हैं.
संवाददाता बांसघाट के मुख्य द्वार के अंदर पहले दुकानदार से बात की. रोते हुए संवाददाता पहुंचा और कहा-भइया, हमार चाचा मर गइल बानि, जरा जल्दी अंतिम संस्कार करवाइ न…यह सुन दुकानदार ने कहा-शव लेकर आये हैं. रजिस्ट्रेशन हो गया है. कूपन नंबर मिला. संवाददाता रोते हुए कहा-चाची की तबीयत भी बिगड़ गइल बा. थोड़ा जल्दी करवा दीहीं न…
दुकानदार : रात होता तो जल्दी हो जाता…दिन में बहुत रिस्क है. फिर भी कोशिश करते हैं जो आप लकड़ी में पैसा लगाइयेगा, उससे आधे में ही शवदाह गृह में शव जल जायेगा. कोशिश करते हैं. पहले शव तो ले आइए. यहां आइयेगा, आपको किसी से बोल कर पहले करवा देंगे.
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संवाददाता ने जब बांसघाट पर अंतिम संस्कार कराने आये परिजन से बात की तो पता चला कि शवदाह गृह में भी जो कर्मी शव जला रहे हैं, वह भी 300 रुपये ले रहे हैं. अगर जल्दी जलाना है तो उसमें बहुत पैरवी लगेगी. परिजन ने कहा-हम तो खुद बहुत परेशान हैं. सुबह से नंबर लगाये हैं. अभी लकड़ी से जलाने का नंबर आया है. बहुत जगह पैसा देना पड़ता है भइया.
एक ऑक्सीजन प्लांट के एक कर्मी ने बताया कि यहां इतने दलाल हैं कि हमलोग बहुत परेशान हैं. दलाल के दर्जनों लोग मौजूद हैं. उन्हें 100-200 रुपये देकर लाइन में लगवा देता है. सिलिंडर जितना अधिक किलो का, उतना अधिक पैसा. अब तो महिला भी खड़ी हो जाती है. कई बार तो एक ही महिला दिन भर में दो से तीन बार आ जाती है.
प्रभात खबर का संवाददाता जब बांसघाट में घुसा और कहा कि उनके परिवार में कोई कोरोना से मर गया तो अंदर बैठे एक दुकानदार कहता है कि भइया, यहां नगर निगम सबको लकड़ी नहीं देता. इसके बाद संवाददाता के साथ वह खुद जाता है और नगर निगम के कर्मी से बात करता है कि इनका कोरोना मरीज है. पीएमसीएच से आ रहा है. ये सुन नगर निगमकर्मी बोलता है कि यहां नहीं, गुलबी घाट जाइए. इसके बाद दुकानदार की बात सुनिए…उसने कहा कि इधर-उधर का चक्कर लगाते रह जाइयेगा भइया. मैं लकड़ी दिलवा दूंगा. 10 हजार रुपये तक लकड़ी लगेगी. शव और लकड़ी ढोने का 2000, सजाने का 1500 और जलाने वाला लेगा 2100 रुपये. मुखाग्नि देगा न कोई. वही तो लाश नहीं जलायेगा. उसको जलाने वाला भी चाहिए न. इसलिए वह 2100 रुपये लेगा.
अगर आपको जानकारी नहीं है और गलती से बांसघाट पहुंच गये तो कोई बात नहीं. यहां के दलाल आपको गुलबी घाट के दलालों का भी नंबर दे देंगे. बांसघाट पर दुकानदार के रूप में बैठे दलाल का नेटवर्क बहुत तगड़ा है. दुकानदार ने बताया कि आप चिंता मत कीजिए. आप सीधे एंबुलेंस को मोड़िए और पहुंच जाइए गुलबी घाट, वहां एक बंगाली बाबा है. बहुत नामी है. उनको मेरा नाम बताइयेगा. वह आपको सब काम करा देंगे. लकड़ी कम दाम में उपलब्ध करा देंगे. इधर-उधर कुछ थोड़ा पैसा लगेगा, वह भी मैनेज हो जायेगा. यूं समझिए न 15 हजार रुपये में आपका सब काम हो जायेगा. इसके बाद दुकानदार ने अपना नंबर दिया और बात कराने को कहा.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan