बिहार में अब तक कोविड -19 का नया स्वरूप यानी नया वैरिएंट नहीं पाया गया है. शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसकी जानकारी दी गयी. स्वास्थ्य विभाग के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि कुछ दिन पहले नालंदा मेडिकल कॉलेज के मेडिकल छात्र के सैंपल की जांच के लिए भुवनेश्वर भेजा गया था. उसकी रिपोर्ट आ चुकी है. उसमें कोई नया वैरिएंट नहीं मिला है. जबकि, पटना एम्स से कोविड के मरीज का एक और सैंपल भेजा गया था. जिसकी रिपोर्ट अभी आनी बाकी है. उसकी रिपोर्ट आने के बाद बिहार में नये वैरिएंट को लेकर स्थिति स्पष्ट हो पायेगी.
गौरतलब है कि देश के कुछ राज्यों मसलन महाराष्ट्र, पंजाब, पश्चिम बंगाल आदि जगहों पर कोविड के नये वैरिएंट या डबल म्यूटेंट की बात सामने आ रही है. कोरोना के दूसरी लहर को तेजी से फैलने के पीछे इस नये वैरिएंट को भी कारण बताया जा रहा है. हाल के दिनों में पश्चिम बंगाल में ऐसे सबसे अधिक मामले देखने को मिले हैं. इसे बी.1.618 कहा जा रहा है.
वहीं एक मई से शुरू होने वाले टीकाकरण में फिलहाल सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का कोविशील्ड का टीका ही लगाया जायेगा. कार्यपालक निदेशक ने बताया कि अभी केवल इसी कंपनी की ओर से रेट मिल पाया है, जबकि अन्य कोवैक्सीन और स्पुतनिक टीका के लिए संबंधित कंपनियों से रेट मांगा गया है. जिसे अभी तक कंपनियों ने उपलब्ध नहीं कराया है. ऐसे में एक मई से शुरू होने वाले टीकाकरण के लिए फिलहाल कोविशील्ड का टीके का ऑर्डर राज्य सरकार की ओर से किया जा रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश के 18 राज्यों में कई ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न्स’ पाये गये हैं. इसका अर्थ है कि देश के कई हिस्सों में कोरोना वायरस के अलग-अलग प्रकार के पाये गये हैं . इनमें ब्रिटेन, दक्षिण अफ़्रीका, ब्राज़ील के साथ-साथ भारत में पाया गया नया ‘डबल म्यूटेंट’ वैरिएंट भी शामिल है. नया वैरिएंट पहले स्ट्रेन से तेजी से फैलता है और मौत के मामले भी अधिक होते हैं.