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प्रभात खबर पड़ताल: कोरोनाकाल में भुलायी इंसानियत, इलाज के नाम पर राजधानी पटना में मरीजों से चौतरफा लूट

पटना जिला प्रशासन द्वारा गठित धावा दल के नेतृत्व में हर दिन निजी अस्पतालों के खिलाफ मिल रही शिकायत के खिलाफ जांच अभियान चलाया जा रहा है. खास कर बाइपास इलाके के अस्पतालों की शिकायत अधिक मिल रही है. रविवार को भी धावा दल ने कोरोना के इलाज व बेड के नाम पर भर्ती के नाम पर लाखों रुपये वसूले जाने का खुलासा किया. दरअसल आपदा की इस घड़ी में शहर के कई ऐसे निजी अस्पताल, एंबुलेंस चालक और दवा दुकानदार मानवता भूल कर संवेदनाओं का गला घोंटने पर तुले हैं.

आनंद तिवारी, पटना जिला प्रशासन द्वारा गठित धावा दल के नेतृत्व में हर दिन निजी अस्पतालों के खिलाफ मिल रही शिकायत के खिलाफ जांच अभियान चलाया जा रहा है. खास कर बाइपास इलाके के अस्पतालों की शिकायत अधिक मिल रही है. रविवार को भी धावा दल ने कोरोना के इलाज व बेड के नाम पर भर्ती के नाम पर लाखों रुपये वसूले जाने का खुलासा किया. दरअसल आपदा की इस घड़ी में शहर के कई ऐसे निजी अस्पताल, एंबुलेंस चालक और दवा दुकानदार मानवता भूल कर संवेदनाओं का गला घोंटने पर तुले हैं.

पीड़ित बोले निजी अस्पतालों में लूट मची, पता नहीं कौन-सी दवा दे रहे

बिहटा के रहने वाले रमेश कुमार को सांस लेने में तकलीफ के बाद परिजन एक सप्ताह पहले शहर के पीएमसीएच व आइजीआइएमएस लेकर पहुंचे. लेकिन ऑक्सीजन बेड खाली नहीं होने के कारण परिजन मरीज को शहर के कई प्रतिष्ठित निजी अस्पताल लेकर गये. लेकिन वहां भी जगह नहीं मिली, तो न्यू बाइपास से सटे इमरजेंसी ट्रामा केयर में भर्ती कराया. यहां चार दिनों में परिजनों को सवा लाख से अधिक का खर्च बताया गया. हालांकि परिजनों का कहना था कि मरीज ठीक हो गये, कोई विकल्प नहीं होने के कारण बेटों ने अस्पताल को रुपये दे दिये. यही हाल एसके नगर निवासी राम प्रवेश के साथ हुआ.

दो दिन में 78 हजार रुपये का बिल थमाया

पेशे से छपरा में बतौर प्रोफेसर के पद पर काम कर रहे राम प्रवेश अपने परिवार के साथ शहर के एसके नगर में रह रहे हैं. उन्हें भी कोरोना हो गया. घबराहट व बेचैनी के बाद परिजन दानापुर स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया, जहां दो दिन में 78 हजार रुपये का बिल थमाया गया. शिक्षक ने कहा कि निजी अस्पतालों में इलाज के नाम पर लूट मची है. पता नहीं कौन-सी दवा दे रहे हैं. यह हालत अधिकांश मरीजों के साथ आज भी देखने को मिल रही है़

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350 से 400 रुपये प्रति किमी के हिसाब से वसूले एंबुलेंस चालक ने

शास्त्री नगर निवासी श्याम कुमार को शरीर में तेज दर्द व हल्का बुखार होने के बाद परिजन एलएनजेपी अस्पताल लेकर पहुंचे. कोरोना की आंशका होने पर पीएमसीएच व आइजीआइएमएस में किसी एक अस्पताल ले जाने की सलाह दी गयी. परिजन पीएमसीएच पहुंचे, जहां एंबुलेंस चालक ने 2300 रुपये मांगे. काफी गुजारिश के बाद 2000 में सौदा तय हुआ.

100 मीटर की दूरी के लिए 2500 रुपए 

इसी तरह हनुमान नगर की रहने वाली शालिनी सिंह को सांस लेने में तकलीफ होने पर परिजन ऑटो रिजर्व कर कंकड़बाग थाने से सटे एक बड़े प्राइवेट अस्पताल लेकर गये. लेकिन वहां बेड नहीं होने के बाद आइजीआइएमएस रेफर कर दिया गया. अस्पताल से 100 मीटर की दूरी पर खड़ी एक निजी एंबुलेंस के चालक ने आइजीआइएमएस जाने के लिए 2500 रुपये की डिमांड की. परिजन ने नये नियम का हवाला दिये तो एंबुलेंस चालक ने कहा कि ऑटो से चले जाओ. शालिनी के भाई संजय ने बताया कि एंबुलेंस चालक भी यहां 350 रुपये 400 प्रति किमी के हिसाब से मरीजों को एक अस्पताल से दूसरे तक ले जा रहे हैं. इसका खामियाजा आम जन ही नहीं सरकारी विभागों में तैनात अधिकारी भी भुगत रहे हैं.

आइसीयू में बेड व वेंटिलेटर के लिए घंटों तड़प रहे मरीज, टूट रहीं सांसे

पीएमसीएच, आइजीआइएमएस, एनएमसीएच और एम्स जैसे सरकारी अस्पतालों में कोविड मरीजों के लिए आइसीयू में बेड व वेंटिलेटर खाली नहीं हैं. इसके कारण रविवार को आरा जिले के रहने वाले 42 साल के रंजन पाठक की वेंटिलेटर के अभाव में मौत हो गयी. रंजन को नागेश्वर कॉलोनी स्थित एडवांस न्यूरो सेंटर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. परिजन वेंटिलेटर के लिए संबंधित चारों अस्पतालों में बात की लेकिन सभी जगह से वेंटिलेटर खाली नहीं का जवाब आया.

बिहार में प्राइवेट एंबुलेंस का तय रेट

वाहन -प्रकार- 50 किमी तक तय किराया -50 किमी के बाद किराया

-छोटी कार ~1500 -18 रुपये प्रति किमी

-छोटी कार एसी ~1700- 18 रुपये प्रति किमी

-बोलेरो/सूमो/मार्शल एसी ~1800 -18 रुपये प्रति किमी

-एसयूवी/टैंपों ट्रेवलर ~2500- 25 रुपये प्रति किमी

जानिए निजी अस्पतालों में इलाज का खर्च

पटना जैसे ए ग्रेड के शहरों में

– 10 हजार रुपये प्रतिदिन एनएबीएच अस्पतालों में सामान्य बेड पर पीपीइ किट, नर्सिंग-डॉक्टर व ऑक्सीजन खर्च के साथ

– 15 हजार रुपये प्रतिदिन आइसीयू में भर्ती मरीजों से

– 18 हजार रुपये आइसीयू में वेंटिलेटर पर रखे गये मरीजों से

गैर राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त अस्पतालों में

– आठ हजार प्रतिदिन पीपीइ, सपोर्टिव केयर व ऑक्सीजन शुल्क के साथ

– 13 हजार आइसीयू में भर्ती मरीजों से

– 15 हजार प्रतिदिन आइसीयू में वेंटिलेटर पर रखे मरीजों से

क्या कहते हैं अधिकारी

कोरोना मरीजों को परेशानी नहीं हो इसको देखते हुए प्रशासन की ओर से एंबुलेंस व प्राइवेट अस्पतालों के रेट तय किये गये हैं. इतना ही नहीं टीम भी लगातार छापेमारी कर कार्रवाई कर रही है. वहीं, तय रेट से अगर कोई भी अधिक रुपये लेता है, तो तुरंत शिकायत करें. छापेमारी कर कार्रवाई की जायेगी. वहीं, स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार अस्पतालों में बेड बढ़ाये जा रहे हैं, काफी हद तक समस्या कम हो गयी है.

डॉ विभा कुमारी, सिविल सर्जन

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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