पटना : बीपीएससी द्वारा 2015 में बिहार स्वास्थ्य सेवा के अधीन बेसिक ग्रेड में सामान्य चिकित्सा पदाधिकारी के 2301 पदों पर की गयी नियुक्त में फेरबदल हो सकती है. इसके परिणामस्वरूप कई ऐसे अभ्यर्थियों की नियुक्ति हो सकती है, जो अनुभव प्रमाणपत्र को मान्यता नहीं दिये जाने के कारण बाहर हो गये थे. जबकि तीन-चार वर्षों से सेवा दे रहे कई ऐसे चिकित्सकों की सेवा भी इसके बाद समाप्त हो सकती है, जो मेरिट लिस्ट के निचले पायदान पर रहे और फेरबदल के दौरान अंतिम रूप से सफल चिकित्सकों की सूची से बाहर हो गये हों.
बीपीएससी ने मंगलवार को अपनी वेबसाइट पर सूचना जारी कर वैसे सभी अभ्यर्थियों से 15 जुलाई तक अनुभव प्रमाणपत्र मांगा है, जो विज्ञापन संख्या 15/2014 के अंतर्गत चिकित्सकों की भर्ती के लिए आयोजित साक्षात्कार में सम्मिलित हुए हों और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये निर्णय के अनुरूप अपनी उम्मीदवारी पर पुनर्विचार करवाना चाहते हों.
2015 में की गई नियुक्ति में बीपीएससी ने राज्य सरकार के अस्पतालों में काम करने वाले चिकित्सकों के अलावा अन्य किसी भी अस्पताल में काम करने वाले चिकित्सकों के कार्यअनुभव को वेटेज नहीं दिया था़. इसका केंद्र सरकार के अस्पताल समेत अन्य सभी सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों ने विरोध किया था. और उन्हीं में से एक डॉ (मेजर) मीता सहाय ने न्यायालय में मामला दायर कर दिया था.जो आर्मी अस्पताल दानापुर में काम करती हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने उनके पक्ष को सही मानते हुए यह निर्णय दिया कि बिहार के परिक्षेत्र में स्थित सभी सरकारी अस्पताल चाहे वे राज्य सरकार, केंद्र सरकार या स्थानीय निकायों के द्वारा संचालित हों, काम करने वाले डॉक्टरों के अनुभव को समान रुप से वेटेज दिया जाये़.
पिछले वर्ष के अंत में आये इसी निर्णय को ध्यान में रखते हुए बीपीएससी ने साक्षात्कार में शामिल ऐसे सभी अभ्यर्थियों से दोबारा अनुभव प्रमाणपत्र मांगा है जो राज्य परिक्षेत्र में स्थित किसी भी सरकारी अस्पताल में काम कर चुके हों. हालांकि यह भी स्पष्ट रुप से कहा गया है कि ऐसे अनुभवों पर ही विचार किया जायेगा जो मूल विज्ञापन प्रकाशित होने की तिथि 5 सितंबर 2014 तक जारी किये गये हों और 15 जुलाई तक निबंधित डाक से आयोग कार्यालय को मिल जाये.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya