पटना: देश में किसी बड़े बदलाव की बात हो बिहार उसमें सिरमौर न बने, ऐसा कभी नहीं हुआ़ सुधार की दिशा में मील का पत्थर कहा जाने वाला ‘वोटर कार्ड’ का प्रयोग भी अपने ही राज्य में सबसे पहले हुआ था़. 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव में कई नये प्रयोग हुए जो बाद में पूरे देश में अमल हुए. वहीं वोटर कार्ड की व्यवस्था चालू होने के समय बिहार के तत्कालिक मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने इसपर काफी तंज कसा था. आइये जानते हैं आखिर वोटर कार्ड जारी होने पर कैसा रहा चुनाव का माहौल…
1995 तक देश के किसी भी कोने में चुनाव हो, बूथ कैप्चरिंग की शिकायतें आम थी़ं. आयोग की नजरों में भी बिहार को लेकर यही धारणा थी कि सत्ताधारी दल धनबल- बाहुबल का इस्तेमाल करता है़. बिहार के लोगों को पहली बार जब वोटर कार्ड मिले थे, वह साधारण कागज पर बने थे़. साधारण कागज पर बनी इसी आइडी को लेमिनेट किया गया था़. फोटो भी बहुत धुंधला होता था़.
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तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने चुनाव प्रचार के दौरान इस वोटर कार्ड का मखौल उड़ाया था़ चुनावी सभा में उनका जुमला होता था- जहां के लोग अपना कागज-पत्तर खपरैल के बांस के फोफी में रखता है, वह मतदाता वोटर कार्ड कहां से संभालेगा़. लालू चाहते थे कि बूथों पर होमगार्ड को तैनात किया जाये, लेकिन चुनाव आयोग ने केंद्रीय बल तैनात किया़ चुनाव भी कई चरणों में कराया़ मतदान की तारीखों में भी बार- बार बदलाव किया गया था़.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya