Bihar Election 2020 : देश की सभी राजनीतिक पार्टियों में हमें परिवारवाद की जड़ कही न कही जरूर देखने को मिलेंगी. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में ज्यादातर राजनीतिक पार्टियां में वंशवाद का नमूना बन गए हैं. बिहार के भी राजनीतिक दल भी इससे अछूता नहीं है. लेकिन राष्ट्रीय जनता दल के एक ऐसे भी नेता है जिन्होंने पार्टी में पहले तो अपने बेटे को टिकट देने का विरोध किया और जब बेटे ने बगावत करते हुए भाजपा के दामन थामा तो उसके खिलाफ प्रचार भी किया.
हम बात करके रहे हैं राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का. लोहिया और कर्पूरी ठाकुर के अनुयायी रहे जगदानंद सिंह अपने ही किस्म के नेता हैं. लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जानेवाले जगदानंद सिंह ने साल 2010 के विधानसभा चुनाव में अपने बेटे को हरा कर आरजेडी का साथ दिया था. जानकारी के मुताबिक, परिवारवाद के चर्चित आरजेडी जगदानंद के बेटे सुधाकार सिंह को रामगढ़ से पार्टी के टिकट पर चुनाव में खड़ा करना चाहती थी. लेकिन, जगदानंद सिंह परिवादवाद का विरोध करते हुए अपने बेटे को आरजडी का टिकट नहीं लेने दिया.
इसके बाद जगदानंद के बेटे सुधाकर सिंह बेटे ने बगावत करते हुए बीजेपी में शामिल हो गये और बीजेपी के उम्मीदवार बन गये. जगदानंद सिंह अपने बेटे की राजनीतिक महत्वकांक्षा को नजरंदाज करते हुए रामगढ़ विधानसभा चुनाव क्षेत्र में बेटे का साथ नहीं दिया और पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में डटे रहे. राजपूत वर्चस्व वाली रामगढ़ विधानसभा सीट पर पार्टी का साथ देने के कारण आरजेडी नेता अंबिका यादव जीत मिली और बेटा सुधाकर सिंह चुनाव हार गये. इस बात के 10 साल बाद जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह को राजद ने टिकट दिया है. इस बार वह वो रामगढ़ से चुनाव लड़ेंगे.