पटना: कोई भी मकान मालिक को अपने हिस्से की बिजली किरायेदारों को बेचने का अधिकार नहीं है. ऐसा पाये जाने पर बिजली कंपनी उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. कंपनी के मुताबिक कोई भी उपभोक्ता बिजली का उपयोग केवल अपने लिए कर सकते हैं. बिजली बेचने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती है. इसलिए बिना लाइसेंस के यदि कोई मकान मालिक बिजली बेचते हैं तो बिहार विद्युत विनियामक आयोग उन पर कार्रवाई कर सकती है.
राज्य में अधिकांश किरायेदारों को उनके मकान मालिक सब मीटर लगाकर बिजली देते हैं. उस मीटर को फास्ट होने सहित उससे प्रति यूनिट 10 रुपए तक बिजली शुल्क की वसूली के मामले सामने आ रहे हैं. दोनों पक्षों में बिजली बिल को लेकर किसी तरह का विवाद होने पर उसे सुलझाने के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं है. वहीं बिजली कनेक्शन लेने वालों और बिजली कंपनी के बीच किसी भी तरह का विवाद सुलझाने के लिए व्यवस्था की गयी है. ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए बिहार विद्युत विनियामक आयोग के अधीन उपभोक्ता शिकायत निवारण प्रणाली के तहत उपभोक्ता न्यायालय बनाये गये हैं.
बिजली कंपनी के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि किरायेदारों को रेंट एग्रीमेंट के आधार पर बिजली का नया कनेक्शन दिया जा रहा है. ऐसे में किसी भी विवाद से बचने के लिए उन्हें अपने नाम से नया कनेक्शन ले लेना चाहिए. हालांकि एक्ट के अनुसार बिजली बिल का भुगतान किये बगैर किरायेदार मकान खाली करके चला जाता है तो उसके बकाये की जिम्मेदारी मकान मालिक की ही मानी जाती है.
बिहार विद्युत विनियामक आयोग के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि बिजली बिल की वजह से मकान मालिक और किरायेदार में किसी तरह का विवाद होने पर इसकी शिकायत आयोग के पास की जा सकती है. हालांकि इस संबंध में किसी बेहतर समाधान होने की उम्मीद नहीं जतायी गयी.
मकान मालिक के द्वारा सब मीटर लगा कर किरायेदार को बिजली देने के बाद अधिकतर मामलों में मीटर फास्ट होना, एक ही मीटर में अन्य उपभोक्ताओं का भी कनेक्शन होना, बिजली का चार्ज 10 रुपए प्रति यूनिट तक वसूला जाना आदि समस्याएं आ रही हैं. इन्हीं समस्याओं को लेकर बिजली बिल के संबंध में मकान मालिक और किरायेदार के बीच विवाद की स्थिति बन रही है.