बिहार सरकार ने खगड़िया के बंध्याकरण मामले में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दी है. इस मामले में सरकार का पक्ष है कि किसी महिला को बेहोश किये बिना ऑपरेशन की बात सामने नहीं आयी है. परबत्ता में ऑपरेशन के बाद महिलाओं को बेड पर लिटाने की जगह जमीन पर चटाई बिछा कर लिटाने की घटना सामने आयी है. इस मामले में सरकार ने दोषी डाॅक्टर और अन्य पदाधिकारी- कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी है. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस संजय करोल एवं जस्टिस पार्थसारथी की खंडपीठ कर रही है.
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने खगड़िया के अलौली स्वास्थ्य केंद्र में बेहोश किये बिना ही 23 महिलाओं के बंध्याकरण की खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया था. बिहार के एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने इस मामले में बताया कि सरकार ने शपथ पत्र फाइल कर दिया है. मीडिया की रिपोर्ट झूठी है. केवल दो जगह परबत्ता और अलौली सीएचसी में ऑपेरशन हुए थे. ऑपरेशन कराने वाली महिलाओं का रेंडमली एग्जामिन किया गया. एक भी ऐसा मामला नहीं पाया गया, जिसमें बेहोश किये बिना ही ऑपरेशन किया गया हो. किसी भी महिला ने शिकायत भी दर्ज नहीं करायी है.
महाधिवक्ता का कहना है कि शपथ पत्र के जरिये कोर्ट को बताया गया है कि परबत्ता में लापरवाही सामने आयी है, लेकिन यह लापरवाही ऑपरेशन के बाद बेड न मिलने की है. जांच में पाया गया है कि परबत्ता में ऑपरेशन के बाद महिलाओं को बेड उपलब्ध नहीं कराया गया था. उनको जमीन पर चटाई बिछा कर लिटा दिया गया था. इस लापरवाही के लिए डॉक्टरों और अन्य पदाधिकारियों को दोषी मानते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही संचालित की जा रही है.
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बिहार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया कि खगड़िया के बंध्याकरण मामले में सरकार की ओर से शपथ पत्र दिया गया है. बेहोशी का इंजेक्शन दिये बिना ऑपरेशन की बात जांच में झूठी पायी गयी है. वहीं, बेड उपलब्ध न कराने के लिए दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई की जा रही है.