बिहार के निबंधन कार्यालयों में रखे दस्तावेजों के डिजिटाइजेशन की पुन: शुरूआत हो गयी है. वर्ष 1995 से लेकर अब तक के दस्तावेजों को स्कैन कर डिजिटाइज कर वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है. अब 1995 से लेकर 1791 यानी करीब 200 वर्षों के दस्तावेजों की स्कैनिंग शुरू की गयी है. चयनित एजेंसी ने 38 में से 31 जिलों में काम शुरू कर दिया है. दस्तावेजों के डिजिटाइजेशन के पश्चात जहां आम लोगों को पुराने दस्तावेजों का रिकॉर्ड उपलब्ध कराने में सुविधा होगी, वहीं लोग खुद भी भूमि जानकारी कॉम कॉम पर खाता खेसरा तौजी नंबर डाल कर अपने दस्तावेज की कॉपी देख सकेंगे.
निबंधन आयुक्त बी कार्तिकेय धनजी ने बताया कि वर्तमान में हर साल 10 से 11 लाख दस्तावेजों की स्कैनिंग कर उसको वेबसाइट पर अपलोड किया जा रहा है. शुरुआती वर्षों में यह संख्या प्रति वर्ष तीन से पांच लाख थी, जिसे बढ़ाया गया है. अब तक करोड़ों दस्तावेज स्कैन कर अपलोड किये जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि राज्य के निबंधन कार्यालयों में आजादी और उससे पहले के कई ऐसे दस्तावेज भी पड़े हैं, जिनका ऐतिहासिक महत्व है.
आयुक्त ने बताया कि पटना, पटना सिटी एवं दानापुर अवर निबंधन कार्यालय एवं सिविल कोर्ट पटना में आम जनों की सुविधा के लिए फ्रैंकिंग मशीन के माध्यम 1000 रुपये मूल्य तक के स्टांप उपलब्ध कराये जा रहे हैं. जल्द ही मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, भागलपुर, सहरसा, मुंगेर, गया, सारण (छपरा) एवं दरभंगा जिला निबंधन कार्यालय तथा बारसोई, रोसड़ा एवं शिकारपुर अवर निबंधन कार्यालय में फ्रैंकिंग मशीन के माध्यम से नन ज्यूडिशियल स्टांप उपलब्ध होने लगेंगे. इसको लेकर संबंधित को-ऑपरेटिव बैंकों को निर्देश दिये गये हैं.
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धनजी ने बताया कि मॉडल डीड के माध्यम से दस्तावेजों की होने वाली रजिस्ट्री बढ़ी है. आम तौर पर सूबे में हर दिन कुल 5000 से 5500 दस्तावेजों की रजिस्ट्री होती है, जिसमें 3500 से अधिक यानि करीब 60 फीसदी दस्तावेज ग्राहक खुद मॉडल डीड के माध्यम से तैयार कराते हैं. इसमें दस्तावेज नवीसों की मदद की जरूरत नहीं होती. धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ायी जायेगी. उन्होंने बताया कि निबंधन विभाग ने अपने निर्धारित राजस्व लक्ष्य 5500 करोड़ के मुकाबले 77.34 फीसदी यानि 4254 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल कर लिया है