केंद्र सरकार द्वारा मक्का की सरकारी खरीद कराने के आश्वासन से बिहार के मक्का किसानों के मन में उम्मीद की नयी किरण जगा दी है. क्वालिटी में अमेरिका के मिडवेस्ट, हार्टलैंड से बेहतर है़ देश में तमिलनाडु के बाद दूसरा उत्पादक राज्य है. राज्य में रबी मक्का की कटाई के उपरांत मई से जून तक की कम अवधि में बाजार में मक्का बहुतायत होने के कारण इसके बाजार मूल्य में कमी आती है. इस कारण मक्का का रिकॉर्ड उत्पादन के बाद भी किसानों के लिए लाभकारी नहीं बन सका है. बिहार सरकार भंडारण की आधारभूत संरचना बढ़ा रही है, लेकिन मक्का के भंडारण के लिए आधारभूत संरचना की कमी है.
कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने शुक्रवार को फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा आयोजित सातवें इंडिया मेज समिट के बाद कहा कि मक्का किसानों की समृद्धि अब दूर नहीं है़ वह आश्वस्त थे कि जल्दी ही एमएसपी तय हो जायेगी. गंगा के उत्तर और कोसी के दोनों तरफ पड़ने वाले जिले – पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, मधेपुरा, सहरसा, खगड़िया और समस्तीपुर मक्का बेल्ट के रूप में उभरे हैं. इन जिलों में छोटे किसान भी 50 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से मक्का की उत्पादकता हासिल करने में सफल हैं.
एमएसपी से इन एक दर्जन से अधिक जिलों की आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. सरकार इसी को ध्यान में रख कर अपनी भंडारण क्षमता को और बेहतर करने में जुटी है. उनका कहना है कि मक्का दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है. अधिकतर विकासशील देशों में खाद्य सुरक्षा में इसका योगदान है. मानव भोजन और पशु आहार में इसका प्रयोग बढ़ा है. तमिलनाडु के बाद बिहार मक्का का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. रबी मक्का उत्पादन के रूप में पहचान बन चुकी है.
मंत्री ने बताया कि जो विश्व के सर्वश्रेष्ठ मक्का उत्पादक अमेरिका के क्षेत्र मिडवेस्ट, हार्टलैंड इलिनोइस, आयोवा और इंडियाना की तुलना में हम कम लागत में उच्च गुणवत्ता वाले मक्का उत्पादित कर रहे हैं. भारत में रबी मौसम में सबसे अधिक मक्का बिहार में उगाया जा रहा है.
Posted By: Thakur Shaktilochan