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बिहार के विधायकों ने राष्ट्रपति और PM मोदी को लिखा पत्र, संविधान की नौवीं अनुसूची में आरक्षण को शामिल करने की मांग की

पटना : बिहार में अनुसूचित जाति एवं जनजाति (एससी-एसटी) समुदाय से आनेवाले सभी दलों के विधायकों ने आरक्षण के प्रावधान को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की है. बिहार विधानसभा की लॉबी में सभी दलों के अनुसूचित जाति एवं जनजाति समुदाय से आनेवाले विधायकों ने शुक्रवार को बैठक कर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आरक्षण के प्रावधान को संविधान को नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की.

पटना : बिहार में अनुसूचित जाति एवं जनजाति (एससी-एसटी) समुदाय से आनेवाले सभी दलों के विधायकों ने आरक्षण के प्रावधान को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की है. बिहार विधानसभा की लॉबी में सभी दलों के अनुसूचित जाति एवं जनजाति समुदाय से आनेवाले विधायकों ने शुक्रवार को बैठक कर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आरक्षण के प्रावधान को संविधान को नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की.

बैठक के बाद विधानसभा के लॉन में एससी-एसटी विधायकों ने 23 अप्रैल के शीर्ष अदालत के आदेश के खिलाफ हाथों में तख्तियां लेकर नारे भी लगाये. बैठक की अध्यक्षता हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और बिहार के उद्योग मंत्री श्याम रजक ने की और कांग्रेस के राजेश कुमार, आरजेडी के शिवचंद्र राम एवं राजेंद्र राम, भाकपा माले के सत्यदेव राम और जेडीयू के ललन पासवान सहित कुल 41 एससी और एसटी विधायकों में से 22 ने भाग लिया.

22 एससी-एसटी विधायकों द्वारा हस्ताक्षरित उक्त पत्र में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिये गये निर्देशों को अनुसूचित जाति-जनजाति को प्राप्त संवैधानिक संरक्षण एवं सामाजिक न्याय के अधिकारों के विरुद्ध बताते हुए उसे निरस्त किये जाने और आरक्षण के प्रावधान को संविधान को नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की है.

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