पंचायत आम निर्वाचन 2021 की रणभेरी बजने के साथ ही क्षेत्र में सरगर्मी तेज हो गई है.प्रत्याशी में विभिन्न पंचायतों में मतदाताओं को अपनी ओर रिझाने की होड़ मची है.इसके लिए प्रत्याशियों द्वारा हर प्रकार का हथकंडा अपनाया जा रहा है,जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है.
बताया जाता है इसके लिए संभावित प्रत्याशी रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं. कहीं पर चुनावी तिकड़म तो कहीं सादगी के साथ विकास के वायदे को हथियार के रूप में अपनाया जा रहा है.वहीं कुछ ऐसे भी प्रत्याशी हैं जो बुरे दिनों में किए गए सहयोग को वोट के लिए भुनाने में लगे हैं,तो कुछ ऐसा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके लिए हमसे बेहतर दूसरा कोई विकल्प ही नहीं है.
चौक-चौराहों से लेकर गांव के दरवाजे तक चुनावी चर्चा .इससे इतर निवर्तमान जनप्रतिनिधियों को पूर्ण रूपेण मतदाताओं पर भरोसा दिख रहा है. पांच साल तक जनता का काम किए हैं तो इस बार भी जनता मालिक का इनाम और आशीर्वाद अवश्य मिलेगा.कुछ ऐसी ही बातों के साथ सभी चौक-चौराहों से लेकर खेत-खलिहानों तक में चुनावी चर्चा का दौड़ प्रारंभ हो गया है.चाय की चुस्की के साथ चढ़ा चुनावी तापमान इन दिनों खासकर गांवों की चाय की दुकानों पर दिनभर चाय की चुस्की के साथ चुनावी तापमान चढ़ते उतरते नजर आ जा रहा है.
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कुछ लोग जहां संभावित प्रत्याशियों के चरित्र के साथ लोगों के बीच उनके कुशल व्यवहार को केंद्रित कर चुनावी खिचड़ी पकाने में लगे हैं तो वहीं कुछ लोग जातीय समीकरण बनाकर चुनाव का नतीजा निकालने में मशगूल दिख रहे हैं. हरेक प्रत्याशी के समर्थक अपने-अपने हिसाब से लोगों के समीप थोथी दलील पेश करते हुए अपने आप को जिताऊ उम्मीदवार घोषित करने में लगे हैं. निवर्तमान जनप्रतिनिधियों के समर्थक अपने-अपने ग्राम पंचायत में हुए विभिन्न विकास कार्यों को गिनाकर आम जनता को अपने पाले में लाने की कोशिश में लग गए हैं.
चुनाव में प्राय: दबंग प्रत्याशियों का दबदबा रहता है.इसको गलत साबित करते हुए इनके समर्थक चुनावी गाथा लोगों को सुनाने में लगे हैं.लोग पंचायत चुनाव में खड़े होने वाले संभावित दबंग प्रत्याशियों की चर्चा करने से भी नहीं चूक रहे हैं.चूंकि उक्त चुनाव में जीत का सेहरा अपने माथे पर सजाने के लिए कई दबंग भी अपनी दबंगई को छोड़ नए हथकंडे के साथ मतदाताओं को रिझाने की तैयारी में हैं. चर्चा में प्रमुखता से यह सवाल उठ रहा है कि अब तक जिनके दरवाजे पर खड़े होने की हिम्मत नहीं होती थी,वही आज गरीब गुरबों को बगल में बैठाकर चाय की चुस्की के साथ उसे अपना सबसे बड़ा हितैषी साबित कर रहे हैं. वहीं प्रखंड कार्यालय प्रांगण से लेकर सुदूर देहातों में इस तरह की चर्चा आम तौर से देखने को मिलने लगी है.
पांच साल तक आम जनता को ठग कर सरकारी योजनाओं में मलाई काट कर आम जनता को ठेंगा दिखाने वाले जनप्रतिनिधियों को इस बार धूल चटाने की तैयारी है.पांच साल तक दबंगई दिखाने वाले ऐसे उम्मीदवार अब जमीन पर हैं उनके होश ठिकाने हैं.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan