EXPLAINER: बिहार में फिर से एक बार परीक्षा के आयोजन पर ग्रहण लगा और इस बार बिहार सिपाही बहाली परीक्षा को रद्द करना पड़ा. परीक्षा माफियाओं ने इस एग्जाम में सेंधमारी कर ली थी. परीक्षा केंद्र पर पहुंचने से पहले ही पेपर लीक कर दिया गया था. बीते 1 अक्टूबर 2023 को परीक्षा आयोजित की गयी थी लेकिन जल्द ही परीक्षा को कैंसिल करना पड़ गया. दरअसल, अलग-अलग जिलों से धांधली की शिकायतें सामने आने लगीं. कहीं सॉल्वर पकड़े गए तो कहीं परीक्षार्थी पूरी आंसर लिस्ट के साथ पकड़ में आए. इस बार सॉल्वर गिरोह ने तरीका बदला था और प्रश्न के बदले आंसर को ही मोबाइल पर व्हाट्सएप के जरिए अभ्यर्थियों को फॉरवर्ड किया था. इसके बदले उनसे मोटी रकम ली गयी थी. ये गिरोह एक दो नहीं बल्कि कई जिलों में पसरे हुए मिले. इस धंधे में कोचिंग संचालक से लेकर पुलिस और एसएसबी के जवान समेत कॉलेज के प्रिंसिपल तक लिप्त मिले. बिहार के ऊपर फिर एकबार कलंक लगा. परीक्षा माफियाओं के हौसले पस्त नहीं हो रहे हैं इसके पीछे की अनेकों वजहों में एक वजह उनके खिलाफ होने वाली कार्रवाई का रवैया भी शामिल है. अक्सर अब इन मामलों की जांच आर्थिक अपराध इकाई से करानी पड़ती है.
सिपाही भर्ती की परीक्षा में सेटिंग करने वाले गैंग के सरगना और सदस्यों को पुलिस लगातार पकड़ रही है. एक के बाद एक करके नए-नए खुलासे हो रहे हैं. हाल में ही दो और सरगना को गिरफ्तार किया गया है. अभी तक कुल 150 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी सिपाही भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में हो चुकी है जाे अभी भी जारी है. सॉल्वर गिरोह के सदस्यों और धांधली में लिप्त लोगों की गिरफ्तारी के लिए कई जिलों में छापेमारी चल रही है. अलग-अलग जगहों से गिरफ्तारी की जा रही है. पेपर लीक मामले में दो दर्जन से अधिक जिलों में 6 दर्जन से अधिक केस अबतक दर्ज हो चुके हैं. वहीं सभी मामलों को अब इओयू ने टेकओवर कर लिया है.
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जांच का दायरा जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे अब नये-नये तथ्य सामने आ रहे हैं. सिपाही बहाली पेपर लीक मामले में अबतक चार सिपाहियों की भूमिका सामने आ चुकी है. नालंदा जिला बल के जवान ओम प्रकाश, नवादा के संटू कुमार, पटना के नीतीश और गया पुलिस बल के जवान मुकेुश का नाम सामने आया है. गिरफ्तार रजनीश के मोबाइल ने अहम सबूत सामने दिए हैं जिसमें एक अधिकारी का भी नाम अब आ रहा है जिसने उसे आंसर भेजा था. नालंदा क्यूआरटी में तैनात कमलेश को पहले ही गिरफ्तार करके जेल भेजा जा चुका है. इधर परिवहन शाखा में तैनात सिपाही जीतेंद्र कुमार से पुलिस पूछताछ कर रही है. इसके मोबाइल फोन पर भी आंसर आया था. पुलिस ने उसके मोबाइल को जब्त कर लिया है और उसकी भूमिका की जांच कर रही है. जीतेंद्र कुमार के फोन पर परीक्षा से पहले ही आंसर आ चुका था और उसने कई अभ्यर्थियों को ये आंसर भेजे थे. अब तमाम मामलों की जांच इओयू कर रही है.
बिहार में परीक्षा में धांधली कराने वाले माफियाओं के हौसले बुलंद क्यों हो रहे हैं, इसकी कई वजहों में एक है पुलिस की धीमी कार्यशैली. जिसके कारण परीक्षा माफिया पकड़ में नहीं आ रहे हैं. इन मामलों में पुलिस प्राथमिकी तो दर्ज कर लेती है, लेकिन आगे कार्रवाई नहीं हो पाती है. जांच धीरे-धीरे ठंडा पड़ जाता है. जिससे परीक्षा माफिया हर बार गड़बड़ी करते हैं. जनवरी, 2021 में सिपाही और दारोगा बहाली की शारीरिक परीक्षा के दौरान 370 अभ्यर्थी पकड़े गये थे. इनमें 20 महिलाएं भी थीं. इन्होंने परीक्षा में सॉल्वर को बैठाया था और उसी के माध्यम से परीक्षा पास की थी. लिखित परीक्षा सॉल्वर से दिलाकर ये खुद शारीरिक परीक्षा देने चले गये थे. बायोमेट्रिक जांच के दौरान उंगलियों के निशान जब मैच नहीं करने लगे तो इनकी चालाकी पकड़ में आ गयी थी. सीएसबीसी की ओर से गर्दनीबाग थाने में 44 से अधिक केस भी दर्ज कराये गये. लेकिन मास्टरमाइंड या गिरोह का सदस्य तक नहीं पकड़ा गया. सूत्रों का कहना है कि पुलिस परीक्षा से जुड़े मामलों में विशेष रूप से काम नहीं करती है. 23 मार्च को पुलिस ने बिहार एसएफसी की परीक्षा में धांधली करने के आरोप में तीन को गिरफ्तार किया था. लेकिन साक्ष्य व गलत धाराओं में केस किये जाने के कारण तीनों को कोर्ट से जमानत मिल गयी थी.
पेपर लीक जैसे गंभीर मामलों में जांच के दौरान लापरवाही की सीमा को इससे समझा जा सकता है कि बिहार एसएफसी एग्जाम का भी पेपर लीक किया गया था और इसकी जांच में बड़ा खुलासा हुआ था. पुलिस के द्वारा की जा रही मामले की जांच व प्राथमिकी में बड़ी लापरवाही सामने आयी थी और इसकी जांच आर्थिक अपराध शाखा की निगरानी में तब करायी गयी. इस मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ था कि पुलिस इस केस को क्लोज करने के प्रयास में थी. खगौल थाने की पुलिस की लापरवाही सामने आयी थी जिसमें अनुसंधान ही गलत तरीके से किया गया और चार्जशीट करने के बाद केस को क्लोज करने की तैयारी थी. लेकिन जब ये बात सामने आयी तो इओयू ने फिर से मामले की जांच कराने का फैसला ले लिया. बता दें कि 23 मार्च को खगौल के एक सेंटर पर एसएफसी की परीक्षा संपन्न होने के बाद भी एक परीक्षार्थी एग्जाम देता हुआ पकड़ा गया था. उसके पास आंसर सीट भी मिला था. सेंटर के मालिक, पर्यवेक्षक और अभ्यर्थी को गिरफ्तार किया गया था. तीनों को जमानत मिल गयी थी.
गौरतलब है कि बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) तक की संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में सेंधमारी की जा चुकी है. बीपीएससी 67वीं परीक्षा का प्रश्नपत्र 7 मई 2022 को परीक्षा के पहले ही वायरल हो चुका था. जिसके बाद इसकी जांच की गयी और परीक्षा को रद्द किया गया था. इस मामले की जांच इओयू ने की और ताबड़तोड़ गिरफ्तारी की गयी थी. गया के एक सेंटर से पेपर का फोटो खींचकर लीक किया गया था. बीपीएससी पेपर लीक मामले में डीएसपी तक की गिरफ्तारी हो गयी थी. वहीं इस पेपर लीक कांड के बाद से बीपीएससी ने एग्जाम को लेकर सख्ती विशेष तौर पर बढ़ा दी और परीक्षा के लिए कई अहम बदलाव किए.