रालोसपा के विलय होने का मुद्दा अब राजनीतिक गलियारे में तूल पकड़ चुका है. एक तरफ जहां उपेंद्र कुशवाहा के द्वारा रालोसपा पार्टी का जदयू में विलय कराये जाने की उम्मीद लगभग सही साबित होती दिख रही है वहीं शुक्रवार को रालोसपा पार्टी के कई नेताओं ने राजद का दामन थाम लिया जिसके बाद अब विपक्ष भी इस विलय पर हमला बोल रहा है.
रालोसपा (RLSP) के कई दिग्गज नेता उपेंद्र कुशवाहा का साथ छोड़कर शुक्रवार को राजद में शामिल हो गये. कुल 35 रालसोपा नेता राजद खेमे में चले गए और पार्टी में शामिल होने के दौरान उन्होंने खुलकर रालोसपा और जदयू के विलय पर आपत्ति जतायी. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने उपेंद्र कुशवाहा पर निशाना साधते हुए कहा कि अब केवल वही उधर बचे हैं बांकि पार्टी के सभी लोग राजद में आ चुके हैं.
राजद में शामिल होने वालों में रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र कुशवाहा, प्रदेश महासचिव निर्मल कुशवाहा, महिला सेल की प्रमुख मधु मंजरी व कई अन्य बड़े नाम हैं. वहीं अब रालोसपा के दो खेमें में बंटने के बाद रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा शनिवार और रविवार को अपने सभी पदाधिकारियों के साथ बैठक करने वाले हैं जिसमें आगे की रणनीति तय की जायेगी.
बिहार की राजनीति में इस विलय के साथ ही एक बार फिर नीतीश कुमार-उपेंद्र कुशवाहा की जोड़ी जदयू में देखने को मिल सकती है. बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा को 2007 में जनता दल (यूनाइटेड) से बर्खास्त कर दिया गया था. कुशवाहा ने फरवरी 2009 में राष्ट्रीय समता पार्टी की स्थापना की थी.
2014 के लोकसभा चुनाव में रालोसपा ने एनडीए गठबंधन के हिस्से के रूप में बिहार (सीतामढ़ी, काराकाट और जहानाबाद) में 3 संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ा और सभी को जीत लिया था. उन्हें मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री का पद भी दिया गया था.
2015 के बिहार विधान सभा चुनाव में, रालोसपा ने एनडीए के साथ मिलकर बिहार के 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें 2 सीटों पर पार्टी ने जीत हासिल की थी. वहीं 2016 में पार्टी में बगावत के सुर छिड़े और अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में नेता अरुण कुमार और ललन पासवान को बाहर किया गया था. 2018 में रालोसपा एनडीए से बाहर चले गये.
2019 के भारतीय आम चुनाव में, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने 5 संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई. उपेंद्र कुशवाहा ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था लेकिन दोनों सीटों पर हारे थे. चुनाव के बाद, पार्टी के सभी तीन पूर्व असंतुष्ट राज्य विधायक जेडीयू में शामिल हो गये थे.
वहीं 2020 के विधानसभा में भी रालोसपा का खाता नहीं खुला था. अब 2021 में पार्टी का जदयू में विलय होने के बाद उपेंद्र कुशवाहा कितने मजबूत रहेंगे ये सवाल भी भविष्य के गर्त में है.
Posted By: Thakur Shaktilochan